सामाजिक नियंत्रण
हम मानव एक सामाजिक प्राणी है, हम कभी भी अकेले जीवित नहीं रह सकते। क्योकि हामारे एक दूसरे के कार्य प्रणाली हामारे एक दूसरे के जीवन में प्रभाव विस्तार करते है और ये प्रभाव विस्तार हम सब के लिए बेहद जरूरी भी है।
इसीलिए हमें किसी ना किसी तरीके से तो समाज के अन्य व्यक्तिओ के ऊपर निर्भर करना ही पड़ता है, चाहे वो कम परिमाण में हो या फिर ज्यादा।
{दोस्तों अगर पौराणिक समय में किसी व्यक्ति का अकेले रह पाना संभव होता भी था लेकिन वर्तमान के आधुनिक समय में वो लगभग असंभव सा है}
{दोस्तों अगर पौराणिक समय में किसी व्यक्ति का अकेले रह पाना संभव होता भी था लेकिन वर्तमान के आधुनिक समय में वो लगभग असंभव सा है}
मानव समाज के इस विशेषता कारण ही सामाजिक नियंत्रण का महत्व ज्यादा हो जाता है।
क्योकि समाज में अगर सबको एक साथ सकुशल रहना है तो वो किसी न किसी विशेष विशेष निर्धारित नीति-नियम के माध्यम से ही संभव है।
अगर वो नियम या सामाजिक नियंत्रण ही नहीं बचेगा तो पूरा मानव समाज ही पतन की तरफ अग्रचर हो जायेगा।
अगर वो नियम या सामाजिक नियंत्रण ही नहीं बचेगा तो पूरा मानव समाज ही पतन की तरफ अग्रचर हो जायेगा।
अगर हम इसको कम शब्द के अंदर सरल भाषा में व्याख्या करे तो बोल सकते है की - "सामाजिक नियंत्रण वो एक उपाय है, जिसके माध्यम से समाज ही बिभिन्न प्रकार के निति-नियम प्रस्तुत करते है और उन निति-नियमो को समाज के व्यक्तिओ की आचरणो को नियंत्रण हेतु व्यबहार करते है"।
वर्तमान समय के उन नियंत्रण माध्यमों के उदाहरण : - पुलिस प्रशाशन, कानून व्यबस्था, जनरीति, लोकाचार इत्यादि।
वर्तमान समय के उन नियंत्रण माध्यमों के उदाहरण : - पुलिस प्रशाशन, कानून व्यबस्था, जनरीति, लोकाचार इत्यादि।
अब आइए जानते है कुछ कुछ महान समाजशास्त्रीक इसके बारे में क्या कहते है : -
1. सबसे पहले मेक आईवर और पेज के अनुसार
"सामाजिक नियंत्रण एक ऐसा पद्धिति है, जो सामाजिक संगति और परिवर्तनशीलता को अटूट रखकर समाज को सदा कर्मशील करके रखता है".
2. दूसरी तरफ H.M ज'नशोन कहते है की -
"पथभ्रस्टकेंड्रिक कार्य या आचरणों को जिस प्रक्रिया के माध्यम से बाधा प्रदान किआ जाता है, उसी को सामाजिक नियंत्रण कहा जाता है".
अब शायद आप इस संकल्पना को अच्छे से समझ सुके होंगे। दोस्तों अब आईए जानते है इसकी कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओ के बारे में।