भक्ति काल के कवि (Bhakti Kaal ke kavi)
दोस्तों इस लेख में हम भक्ति काल के 5 मुख्य कविओ के साथ परिचित होंगे, जिन्होंने हिन्दू धर्म के अंदर रहकर ही इस महान धर्म संस्कार आंदोलन को एक नया मोड़ प्रदान किआ।
तो चलिए ये पांच महान कवि कौन कौन थे, एक एक करके जानने की कोसिस करते है।
1. श्रीमंत शंकरदेव :
- हाँ ये हमे ज्ञात है की शायद भारत के सभी हिस्सों के सामान्य लोग इस महान पुरुष के साथ पहले से ही परिचित नहीं होंगे लेकिन दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता देना चाहता हु की श्रीमंत शंकरदेव भक्ति काल के एक महान कवि तथा नेता थे।
जिन्होंने असम तथा पुरे उत्तर-पूर्वी भारत में हिन्दू धर्म को एक नया मोड़ प्रदान किआ।
जिन्होंने असम तथा पुरे उत्तर-पूर्वी भारत में हिन्दू धर्म को एक नया मोड़ प्रदान किआ।
इस महान नेता का जनम हुआ था सं 1449 में भारतवर्ष के असम राज्य में स्थित नगाओं ज़िले के आलीपुखूरी नामक जगह में।
श्रीमंत शंकरदेव उनके दुवारा रचित बोरगीतो और भाओनाओ के वजह से आज भी पुरे भारतवर्ष के बौद्धिक जगत में वे जाने जाते है।
हालाकि असम राज्य के समाम्न्य लोगो के बिच भी ये कवि अत्यंत ही विख्यात है और उनके नाम पर एक विशेष दिन पालन भी किआ जाता है, जिसको 'शंकरदेव तिथि' के नाम से जाना जाता है।
श्रीमंत शंकरदेव उनके दुवारा रचित बोरगीतो और भाओनाओ के वजह से आज भी पुरे भारतवर्ष के बौद्धिक जगत में वे जाने जाते है।
हालाकि असम राज्य के समाम्न्य लोगो के बिच भी ये कवि अत्यंत ही विख्यात है और उनके नाम पर एक विशेष दिन पालन भी किआ जाता है, जिसको 'शंकरदेव तिथि' के नाम से जाना जाता है।
इन्होने असम के लिए अपना जो जो भी योगदान दिआ था, उन सबके लिए इनको आज भी असम के लोग महापुरुष शब्द से बिभूषित करते है। इस महान कवि दुवारा रचित सबसे पहला बोरगीत था 'मन मेरी राम चरणेहि लागु'.
दोस्तों क्या अपने कभी माधवदेव के बारे में सुना है ?
दोस्तों क्या अपने कभी माधवदेव के बारे में सुना है ?
माधवदेव इन्ही के शिष्य थे। माधवदेव को भी असम में महापुरुष नाम से जाना जाता है तथा उनके नाम पर भी हर साल में एक दिन 'माधवदेव की तिथि' पालन की जाती है।
2. चैतन्य महाप्रभु :
- भक्ति काल के इस महान कवि का जनम हुआ था पश्चिम बंगाल में सं
1486 के 18
फेब्रुअरी को। चैत्यन्य महाप्रभु को तो कुछ कुछ लोग भगवान का दर्जा भी देते है।
इन्होने भजन गायिकी को एक नया रूप प्रदान करके पौराणिक हिन्दू धर्म में स्थित बिभिन्न प्रकार के अंधविस्वास और कु-संस्कारो के विरुद्ध अपना आवाज़ उठाया।
भारतवर्ष में उस समय चल रहे राजनैतिक अस्थिरता को दूर करने के लिए उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम के बिच सद्भावपूर्ण भावना के विकाश के लिए भी कोसिस किआ।
दोस्तों क्या आप जानते है की किसके बदौलत आज बृंदाबन पुरे भारतवर्ष तथा दुनिआभर में विख्यात है?
दोस्तों क्या आप जानते है की किसके बदौलत आज बृंदाबन पुरे भारतवर्ष तथा दुनिआभर में विख्यात है?
ये चैतन्य महाप्रभु ही है जिसने बृंदाबन के ख़तम होने वाले अस्तित्व को पुनः उद्धार किआ और अपने जीवन के आखरी भाग भी एहि पर व्यतीत किआ।
3. कबीरदास :
- कबीरदास का जनम वर्तमान भारतवर्ष के अन्य एक महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश के पवित्र नगरी काशी में हुआ था।
उनको रहस्यवादी कविओ में विशेष स्थान प्रदान किआ जाता है। उन्होंने हिंदी काव्य धारा को एक नया मोड़ प्रदान किआ था।
उनको रहस्यवादी कविओ में विशेष स्थान प्रदान किआ जाता है। उन्होंने हिंदी काव्य धारा को एक नया मोड़ प्रदान किआ था।
अपने जीवन काल में रचित ज्यादातर रचनाओं में कबीर ने कट्टर धर्मवाद और अंधबिस्वास का विरोध किआ।
कई बार तो हिन्दू और इसलाम धर्म में स्थित अंधविस्वासो का विरोध करने के कारण उनको कुछ लोगो ने मृत्यु की धमकी तक भी दे डाली थी।
कई बार तो हिन्दू और इसलाम धर्म में स्थित अंधविस्वासो का विरोध करने के कारण उनको कुछ लोगो ने मृत्यु की धमकी तक भी दे डाली थी।
क्या आपने कभी सुना है - "बुरा जो देखन में चला बुरा ना मिलिया कोई, जब दिल खोजा अपना तब पाया मुझसा बुरा ना कोई" ये विख्यात रचना कबीर के देन है, जिसको आज कल स्कूलों में बच्चो को पढ़ाया जाता है।
समाज से संघातो को मिटाने इन्होने ऐसे और कई सारे रचनाये की थी, जो आज भी लोगो के बिच लोकप्रिय है।
समाज से संघातो को मिटाने इन्होने ऐसे और कई सारे रचनाये की थी, जो आज भी लोगो के बिच लोकप्रिय है।
4. तुलसीदास: -
तुलसीदास को रामायण की रचयिता बाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। इन्होने ने ही रामचरितमानस और आदि काव्य रामायण की रचना की थी।
तुलसीदास या गोस्वामी तुलसीदास का जनम हुआ था सं 1511 में उत्तर प्रदेश के सोरों शूकरक्षेत्र नामक जगह पर।
तुलसीदास या गोस्वामी तुलसीदास का जनम हुआ था सं 1511 में उत्तर प्रदेश के सोरों शूकरक्षेत्र नामक जगह पर।
ये इतना प्रतिभाशाली कवि थे जिनकी महान रचना रामचरितमानस को विश्व 100 सबसे लोकप्रिय काव्यों में स्थान प्रदान किआ जाता है।
रामचरितमानस और आदि काव्य रामायण के साथ साथ इनकी और दो रचनाये विनयपत्रिका, दोहावली भी अति लोकप्रिय ग्रन्थ है।
5. मीराबाई :
- कृष्ण भक्ति के क्षेत्र में समाज तथा विशेष करके महिलाओ को जिस कवियत्री ने मार्गदर्शन की थी, वो थी मीराबाई।
इनकी रचनाओं में एक साथ कृष्ण भक्ति और महिलाओ की स्वतंत्रता का समर्थन परिचय देखने मिलता है।
इनकी रचनाओं में एक साथ कृष्ण भक्ति और महिलाओ की स्वतंत्रता का समर्थन परिचय देखने मिलता है।