औद्योगीकरण क्या है ? (Audyougikaran kya hai ?)
आदिम मानव समाज में इंसान अपना सारा काम खुदके श्रम से ही करते थे और कभी कभी जानवरो को व्यबहार करते थे। लकिन समय कभी भी एक जैसे नहीं रहता, ये बदलता है और पुराने का पतन करवाके नए सृस्टि की तरफ अपना कदम बढ़ाता है।
दोस्तों इंसानो में पाए जाने वाली ज्ञान-बुद्धि के कारण इंसान हमेशा ही अपने आराम की ओर ध्यान देता है। अपने श्रम को कैसे कम किआ जाये तथा यंत्रो को काम करवाके कैसे अधिक उद्पादन किआ जाये ? इन सभी प्रश्नो का उत्तर इंसान हमेशा ही ढूंढ़ता रहता है - इंसान के इसी सोच के कारण मानव समाज में धीरे धीरे औद्योगीकरण का विकाश होने लगा।
दोस्तों सरल भाषा में कहे तो औद्योगीकरण वो व्यबस्था है जिनमे मानव और जन्तुओ के श्रम के व्यबहार को त्याग करके यांत्रिक श्रमो का व्यबहार किआ जाता है, ऐसे व्यबस्था में उद्पादन कार्य मशीन करते है और मानव केबल इन मशीनों का परिचालन ही करते है।
औद्योगीकरण एक ऐसा संकल्पना है जो दो मुख्य शब्दों के मेल से बना है। यहां एक है 'औद्योग' जो मशीन या यंत्रो को प्रतिनिधित्व करते है और दूसरा है 'करण' जो किसी समाज व्यबस्था में उस मशीन या यंत्र केंड्रिक कार्य के विस्तार को समर्थन करता है।
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औद्योगीकरण की विशेषता (Audyougikaran Ki Viseshta)
1. मशीनों के दुवारा उद्पादन: - औद्योगीकरण की प्रथम विशेषता है मशीनों के दुवारा उद्पादन। यहाँ उद्पादन कार्य में मानव या जंतु श्रम का व्यबहार नहीं किआ जाता बल्कि यन्त्र या मशीनों का व्यबहार किआ जाता है। यहाँ इंसानो काम होता है केबल यंत्रो का परिचालन करना, ना की खुद काम करना।
2. तेज गति से उद्पादन: - औद्योगीकरण की दूसरी विशेषता है की यहाँ उद्पादन कार्य अति तेज गति से संभव हो पाति है। जहा परंपरागत उद्पादन व्यबस्था में 100 इंसानो को किसी काम को पूरा करने हेतु 10 दिन समय की जरूरत होती थी वही आज औद्योगीक समाज में उसी काम को पूरा करने में एक मशीन को 1 दिन समय की भी जरूरत नहीं पड़ती।
3. नगरीकरण का विकाश: - औद्योगीकरण का तीसरा विशेषता है नगरीकरण। अर्थात जब किसी मानव समाज में औद्योगीकरण का विकाश होता है तब उसके साथ साथ नगरीकरण भी आगे बढ़ता जाता है।
इसका मुख्य कारण है, लोग गावो से नौकरी ढूंढ़ते ढूंढ़ते आकर उद्यौगिक समाज में एकट्ठा होते है। एहि वो कारण है जिसके वजह से बिभिन्न जाती, धर्म, वर्ण, भाषा के लोग यहां एक साथ वास करते दिखाई देते है। [नगरीकरण के विकाश को आप औद्योगीकरण का प्रभाव भी बोल सकते हो या विशेषता भी बोल सकते हो]
4. द्रुत आर्थिक प्रगति: - औद्योगीकरण का चौथा विशेषता है द्रुत आर्थिक प्रगति। तेज गति से हुए उद्पादन को कम समय के अंदर बेचकर अधिक मुनाफा कमाया जाता है और उस मुनाफे को पुनः विनियोग करके अधिक प्रगति कर पाना संभव हो पाता है। एक उद्यौगिक समाज में लोगो के जीवन-यापन का मान अधिक उन्नत होने का ये मुख्य कारण है।
औद्योगीकरण का महत्व (Audyougikaran Ka Mahatva)
औद्योगीकरण के बहुत सारे महत्व है, जिनको केवल एक ही लेख में आलोचना कर पाना संभव नहीं। इसके कुछ अत्यंत तात्पर्यपूर्ण महत्व इस प्रकार के रहे : -
1. तेज गति से आर्थिक प्रगति। देश या समाज की आर्थिक प्रगति के लिए औद्योगीकरण बेहद जरूरी है।
2. औद्योगीकरण के माध्यम से बहुत सारे नए नए नौकरीआ निकलती है। ये सारे नौकरिया समाज से बेरोजगारी को कम करती है।
3. परंपरागत उद्पादन पद्धिति से बढ़ती हुई जनसंख्या की जरूरत को पूरा कर पाना काफी कठिन है। उद्योगीकरण वो उपाय है जिसके जरिए इस बढ़ती हुई जनसंख्या की जरूरतो को पूरा कर पाना संभव हो पाता है।
4. मानव सभ्यता की प्रगति में भी औद्योगीकरण महत्वपूर्ण योगदान देता है।