Saturday, 16 February 2019

श्रमिक संघ की सुबिधा और असुबिधा

श्रमिक संघ की सुबिधा


1. श्रमिक संघ की सुबिधा में से प्रथम सुबिधा है श्रमिक लोगो के बिच एकतापूर्ण सम्बन्ध का विकाश। 

इस एकतापूर्ण सम्बन्ध के कारण श्रमिकों की शक्ति में बृद्धि होती है और बाद में इस सम्मिलित शक्ति के जरिए ही वे पूँजीपतिओ के शोषण, अन्यायो-अत्याचारों से मुक्त हो पाते है। 


अगर श्रमिक संघ ही नहीं होता उनको उनके ही स्वार्थ के लिए एकत्र कर पाना संभव नहीं हो पाता।  


2. श्रमिक भी तो इंसान ही है और ये प्रत्येक इंसान के जीवन की विशेषता होती है की उनके जीवन में कभी कभी बिपदा आती है। श्रमिक संघ श्रमिकों को उन बिपदाओ में सहायता की हाट आगे बढाती है। 

इसीलिए हर श्रमिक इन संघो के सदस्य बनने के लिए हमेशा ही तैयार रहते है। उदाहरण: - औद्योगिक दुर्घटना, मृत्यु इत्यादि। 
श्रमिक संघ की सुबिधा और असुबिधा

3. कभी कभी मालिक और श्रमिक पक्ष के बिच विवाद का जनम होता है। ये विवाद कभी कभी चरम स्तर पे भी चले जाते है। 

जब श्रमिक अत्यधिक क्रोधित हो जाते है तब वे कभी कभी मालिक पक्ष की बहुत बड़ी हानि तक कर डालते है।

श्रमिक संघ इन परिस्थितिओ में मध्यस्तताकारी की भूमिका पालन करते है तथा मालिक और श्रमिक दोनों की हानि हुए बिना किसी भी समस्या का हल निकालते है।


4. ये तो हम जान गए है की श्रमिक संघ श्रमिको के लिए तो बहुत ही उपकारी होते है लेकिन साथ में वे श्रमिकों के परिवारों की कल्याण में भी अपना ध्यान देते है। 

बच्चो के स्कूल, गर्भवती महिलाओ की देख-रेट या सिकित्चा की सुबिधा इन सभी में वे सहायता करते है। इन सबके कारण श्रमिक अपने कार्यो में अच्छे से लगे रह पाते है। 


5. ये हमेशा ही श्रमिकों को प्रतिष्ठान के नियम अनुसार चलने के लिए बाध्य करवाते है। 

हां ये हम मानते है की श्रमिक संघ हमेशा ही श्रमिकों के कल्याण के लिए अपना कार्य करता है ,लेकिन दोस्तों इसका अर्थ ये नहीं की वे उनके गलतिओ या अपराधों को भी नजरअंदाज कर देते है।

ऐसा बिलकुल नहीं होता। अगर कोई श्रमिक कोई अपराध करता है तो श्रमिक संघ उनको उस अपराध के लिए कड़ी से कड़ी दंड देने को भी समर्थन करता है। 

इसके जरिए औद्योगिक व्यबस्था में नियंत्रण बना रहता है।


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श्रमिक संघ की असुबिधा

1. इसमें कोई दोहराई नहीं की श्रमिक संघ तो श्रमिकों के लिए उपकारी ही होता है लेकिन इसके इस विशेषता को अच्छे से प्रयोग करने के लिए उन संघो के बिच एक उपयुक्त नेतृत्व का होना भी आवश्यक है। 

देखा गया है की ज्यादातर श्रमिक संघो में उपयुक्त नेतृत्व ना होने के कारण वे अपने लक्ष को हासिल करने में ज्यादातर असफल हो जाते है। 


ऐसे बहुत सारे श्रमिक नेताये होते है, जो उच्च शिक्षित नहीं होते और कुछ कुछ भ्रस्टाचारग्रस्त भी होते है। ऐसे नेताए संगठन का उपकार ना करके ज्यादातर समय अपकार ही कर बैठते है।  


2. बिभिन्न कारणवर्ष इन संघो के दुवारा किए गए बंध, हरताल इत्यादि के जरिए देश की आर्थिक प्रगति को भी भारी नुकसान होता है। 

जब जब मालिक पक्ष या सरकार और श्रमिकों बिच विवाद होता तब तब वे देश या समाज में हरताल, बंध घोषना कर देते है। 

ऐसे होने के कारण देश आर्थिक-सामाजिक प्रगति में भी काफी समस्याए आ जाती है, जो बिलकुल भी अच्छी बात नहीं है।      


3. किसी भी अनुष्ठान को अच्छे से आगे बढ़ाके ले जाने के लिए इसके सदस्यों की साक्षरता बेहद ही जरूरी है। चाहे वो देश हो या फिर श्रमिक संघ। 

देखा गया है जब निरक्षर श्रमिक इन संगठनो से जुड़ते है वे ज्यादातर अपने सुबिधा, बेटन, प्रतिष्ठान के निति नियम इत्यादि के सम्बन्ध में अवगत नहीं रह पाते। ये सारे कारण बाद में ऐसे संगठनों के बिफलता का कारण बनते है।