Saturday, 9 February 2019

श्रमिक संघ

श्रमिक संघ


वर्तमान के आधुनिक उद्यौगिक व्यबस्था में श्रमिक संघ का महत्व ऐसा है जिसको कभी भी कम नहीं समझा जा सकता। श्रमिक औद्योगिक व्यबस्था का वो अंश है जिसके बिना कोई औद्योग कभी भी सफलता से आगे नहीं बढ़ सकता।

लकिन ये अत्यंत ही दुःख की बात है की औद्योगिक व्यबस्था के लिए इतना ज्यादा प्रयोजनशील होकर भी ये लोग अपना पूरा जीवन क्षमताहीन होकर और निम्न मान से यापन करते है।

श्रमिक संघ एक प्रकार का संगठन है, जो श्रमिकों के लिए, श्रमिकों को का और श्रमिकों के दुवारा ही गठित होता है। ये संगठन शोषित और निष्पेक्षित श्रमिक श्रेणी के स्वार्थ रक्षा की कोसिस में अपना काम करता है।

ये श्रमिकों को वो सारे के सारे अधिकार प्रदान करने की कोसिस करता है, जो जो अधिकार पाने के लिए वे यतार्थ में योग्य होते है।
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श्रमिक संघ के कार्य

1. श्रमिकों को शोषण से मुक्त करना: - आधुनिक औद्योगिक व्यबस्था की विशेषता ही है पूंजीवाद और कार्ल मार्क्स ने जिस तरह कहा था की पूंजीवादी व्यबस्था में श्रमिकों के ऊपर शोषण लाजमी है अर्थात शोषण के बिना पूंजीवाद कभी भी जीवित नहीं रह सकता।

 इसीलिए श्रमिक संघ श्रमिकों की स्वार्थ को सुरक्षित करने के लिए बहुत ही ज्यादा ध्यान देता है ताकि खुदकी स्वार्थ को पूरा करने के लिए पूंजीपति उनके निम्नतम अधिकारों को भी ख़तम ना कर पाए।

इसीलिए अगर कभी उनको ऐसा लगता है पूंजीपति श्रमिकों की अधिकारों को हानि करने की कोसिस कर रहा है तब वे प्रतिवाद, हरताल इत्यादि के माध्यम से इन सबको रोकने की कोसिस करते है।  


2. राजनैतिक क्षमता प्राप्तकर- गणतंत्र में एक राजनैतिक नेता की क्षमता बहुत ही ज्यादा होता है, जिसका व्यबहार करके वो समाज के सामान्य लोगो का काफी उपकार कर सकते है।

श्रमिक संघ हमेशा ही ये ध्यान देता है की कैसे अपने संघ के लोगो को राजनैतिक क्षेत्र में लाया जाये। ये इसीलिए किआ जाता है ताकि इसके माध्यम से वे सामान्य श्रमिकों की जरूरतो पूरा करने के लिए को सरकार की दृस्टि आकर्षित कर सके। 


3. श्रमिकों के भबिस्व को सुरक्षा प्रदान: - कोई श्रमिक कितने सालो तक कठोर परिश्रम कर सकता है ? ज्यादा से ज्यादा 50 साल या 60 साल की उम्र तक। उसके बाद उस श्रमिक के लिए काम से निबृत्ति लेने का समय आता है।

जब वो काम कर रहे थे, उसको काम के बदले में पारितोषिक दिआ जाता था। लकिन निबृत्ति लेने के बाद उसको पारितोषिक कौन देगा ? और अगर धन नहीं मिला तो वो कैसे अपने जरूरतो को पूरा करेगा।

श्रमिक संघ इसी कार्य में श्रमिकों की मदद करता है। ये हमेशा ही प्रतिष्ठान के मालिक और कर्तित्व को जोर देता है श्रमिकों के भाबिस्व को सुरक्षित करने के लिए ; ताकि बुढ़ापे में वे सुख-शांति से जी सके।

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4. विवादों का शांतिपूर्ण समाधान: - पूंजीवादी औद्योगिक व्यबस्था में दो मूल पक्ष होते है। एक है पूंजीपति और दूसरे होते है मालिक। पूंजीपति हमेशा ही अपने स्वार्थ पूरा करने के लिए काम करते है और दूसरी ओर श्रमिक भी अपने स्वार्थ को पूरा करने में जोर देते है।

लकिन कभी कभी ऐसा परिस्थिति का उद्भव हो जाता है जब दोनों पक्ष अपने अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक दूसरे के विरद्ध आमने-सामने जाते है। अर्थात ऐसा होता है की अगर एक पक्ष का उद्देश्य पूरा हुआ तो दूसरे का बहुत ज्यादा हानि हो जायेगा। ऐसे अवस्था में औद्योगिक विवाद की सुचना होता है।

दोस्तों एहि पर आपको बता देता हु की श्रमिक संघ इन विवादों का शांतिपूर्ण समाधान करने की कोसिस भी करते है। ये भी श्रमिक संघ का अन्यतम कार्य है।


5. विश्व के श्रमिक श्रेणिओ के बिच एकता स्थापन: - श्रमिक संघ चाहते है की दुनिआ की श्रमिक श्रेणी शक्तिशाली हो। इसके कारण वो विश्व के हर एक श्रमिक श्रेणिओ के बिच एकता स्थापन में बिस्वास करता है तथा उसी को सफल करने हेतु चेस्टा करता रहता है। इसका अन्यतम सफल उदाहरण: - सं 1919 में स्थापित ILO.

6. श्रमिकों के परिवार कल्याण: - श्रमिक संघ श्रमिकों के परिवारों की कल्याण में भी यकीन रखता है। इसके लिए वे श्रमिकों के बच्चो के लिए शिक्षा, उनके के लिए काम करने का अच्छा परिवेश इत्यादि की प्रगति करने हेतु जोर देता है।