विवाह क्या है ?
मानव समाज के लिए अत्यंत ही प्रयोजनशील बहुत पुराने सामाजिक संस्थाओ में से एक है विवाह। बहुत सारे समाज दार्शनिको ने इस सामाजिक संस्था के ऊपर अपना व्याख्या बिभिन्न समय पर बिभिन्न तरीके से दिआ है।
दोस्तों क्या आप जानना चाहते है की विवाह क्या है ? तो ठीक है इस लेख में हम इसी बात को जानने की कोसिस करेंगे और साथ में इसका कुछ अति महत्वपूर्ण उद्देश्यों को भी जानेंगे।
विवाह क्या है ? : - दोस्तों हम सभी तो जानते है की यौन प्रवृति मनुष्य की जन्म सिद्ध प्रवृति है। एक विशेष उम्र के बाद से इंसान यौन मिलन के लिए तत्पर हो जाते है, चाहे वो पुरुष हो या फिर नारी।
लकिन दोस्तों अगर मनुस्य अपने इस सहज प्रवृति के ऊपर नियंत्रण ना रखे तो ये समाज के लिए ये काफी हानिकारण हो सकता है और किसी नियम के बिना यौन संपर्क स्थापन करे वो भी समाज के लिए खतरनाक है।
विवाह एक ऐसा उपाय या नियम है जिसके दुवारा पुरुष और नारी को यौन मिलन करने की तथा संतान जनम देने की अनुमति समाज ही निर्धारित नीति-नियम के माध्यम से प्रदान करता है।
इसके माध्यम से सामाजिक प्रमूल्यो की रक्षा होती है तथा सामाजिक समस्याओ से भी समाज को दुरी बनाये रखने में सहायता होती है।
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विवाह के उद्देश्य
1. विवाह का सबसे पहला उद्देश्य है संतान जनम देना। प्राकृतिक नियम के अनुसार एक निर्धारित उम्र के बाद पुरुष और नारी एक दूसरे के साथ यौन मिलन के दुवारा संतान जनम देने के लिए आतुर हो जाते है।
विवाह के बिना भी यौन मिलन संभव है क्योकि विवाह तो केबल एक सामाजिक संस्था है, प्राकृतिक नहीं। लकिन अगर ऐसा हुआ तो बाद में बिभिन्न प्रकार के सामाजिक समस्याओ का जनम हो सकता है।
इसीलिए समाज ने ही विवाह नाम के संस्था के जरिए संतान जनम देने की कार्य को समर्थन किआ है।
2. मनुस्य की यौन प्रवृति को नियंत्रित करना विवाह का दूसरा उद्देश्य है, ताकि हमेशा ही समाज और संस्कृति सुरक्षित रहे।
3. इसका तीसरा उद्देश्य है नए प्रजन्म की सृस्टि, ताकि मानव और मानव सभ्यता आगे बढे।