आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन
भारतवर्ष की संस्कृति पूरी दुनिआ की पुराणे संस्कृतिओ में से एक है। कहा जाता है की इस देश की संस्कृति 5000 साल पुराणी है। लकिन दोस्तों समय बदलते बदलते समाज की संस्कृति में भी परिवर्तन आती है।
आधुनिक समाज व्यबस्था के विकाश के करणवर्ष वर्तमान भारतवर्ष की संस्कृति में बहुत ही ज्यादा परिवर्तन आ रहा है।
दोस्तों इस लेख में हम आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन के ऊपर कुछ आलोचना करेंगे। जिसने इस देश के लोग, लोगो के सोच इन सभी चीज़ो सम्पूर्ण रूप से बदलके रख दिआ। आशा करता हु की ये लेख आपके लिए काफी सहायक होगा।
आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन [7 मुख्य परिवर्तन]
1. जाती व्यबस्था में परिवर्तन: - भारतवर्ष में एक समय जाती व्यबस्था का प्राधान्य बहुत ही ज्यादा था। लोगो का मान, मर्यादा, सामाजिक प्रस्थिति ये सभी जाती के दुवारा ही निर्धारित होता था।
अगर कोई व्यक्ति अपने कर्म के दुवारा उच्च स्तर पे जाने की कोसिस करता भी था तो भी उसको उच्चे स्तर पे जाने नहीं दिआ जाता था, अगर वो निम्न जाती का होता तो। लकिन दोस्तों आधुनिकता के विकाश के कारण भारतवर्ष में जाती व्यबस्था का महत्व धीरे धीरे कम होने लगा।
अगर हम आज के समय की बात करे तो आज हर एक व्यक्ति को इस देश के समाज में अपने कर्म अनुसार अधिकार प्राप्त होता है, यहां जाती व्यबस्था का प्राधान्य लगभग जा सुका है। तो जाती व्यबस्था में परिवर्तन आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन का प्रथम लक्षण है।
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2. महिलाओ की सामाजिक प्रस्थिति में परिवर्तन: - भारत में महिलाओ को एक समय में पुरषो की तुलना में निम्न या दुर्वल माना जाता था। वो अपने सारे अधिकारों को अपने इच्छा अनुसार भोग नहीं कर पाते थे, जिसको भोग करना उनका जन्मसिद्ध अधिकार होता था।
समाज तथा पुरुष प्राधान्यता के कारण उनको हमेशा ही दवाके रखने की कोसिस किया जाता था। लकिन दोस्तों आधुनिकता के प्रभाव के करनवर्ष भारतीय महिलाओ ने भी ये जाना की वो भी पुरषो से कम नहीं है, वो भी सारे कार्य कर सकते है जो एक पुरुष कर सकता है।
इसके करणवर्ष भारतीय समाज में भी नारीवाद का विकाश होने लगा, जिसने धीरे धीरे इस समाज में महिलाओ की सामाजिक प्रस्थिति में परिवर्तन लाना दिआ। और उसी परिवर्तन का फल है: - कल्पना चावला (प्रथम भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री), इंदिरा गाँधी (प्रथम महिला प्रधानमंत्री).
3. औद्योगीकरण का विकाश: - आधुनिक समाज और औद्योगीकरण, इन दोनों का एक दूसरे के साथ गहरा सम्बन्ध है। मानव समाज परंपरागत अवस्था से जितना ज्यादा आधुनिकीकरण की ओर गति कर रहा है उतना ही औद्योगीकरण का विकाश भी ज्यादा तेजी से हो रहा है।
दोस्तों जरा आप आज के साथ 50 साल पहले की भारतीय समाज को तुलना करो और देखो की कितना ज्यादा ये समाज प्रगति कर रहा है। चलिए मई ही एक उदाहरण दे देता हूँ: - आज से 50 साल नहीं 20 साल ही ले लेता हूँ।
आज से 20 साल पहले भारत में कृषि कार्यो को करने हेतु वेल या भैस का व्यबहार होता था लकिन आज देखिए आज 100 में से 95 प्रतिशत लोग यन्त्रो का व्यबहार करते है, जैसे की ट्रेक्टर, पावर टिलर इत्यादि।
4. अन्धबिस्वासो का पतन: - दोस्तों हमने आपको ऊपर ही बताया है की भारतवर्ष की संस्कृति 5000 साल पुराणी है। इतनी पुराणी होने के कारण इस देश की संस्कृति में भी बिभिन्न समय पर बिभिन्न प्रकार के अंधबिस्वास, कु-संस्कार इत्यादि का वास हो जाना अश्चर्यजनक नहीं है।
उदाहरण: - सतिदाह प्रथा, कन्या हत्या प्रथा, बाल्य विवाह इत्यादि। आधुनिकतावाद के विस्तार ने भारतीय समाज से इन सभी अंधबिस्वास युक्त इन परम्पराओ को दूर किआ। आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन का ये भी एक अच्छा उदाहरण है।
5. गणतंत्र का विकाश: - क्या आप जानते है की ब्रिटिशो के आने से पहले भारतवर्ष एक राजतांत्रिक राष्ट्र था। यहा का समाज और संस्कृति राजतन्त्र ही नियंत्रित करते थे। ब्रिटिशो के आने से पहले ये देश 600 से ज्यादा बिभिन्न प्रदेशो में विभक्त था।
उस समय देश के शासन तथा समाज व्यबस्था में निर्णय लेने का अधिकार सामान्य लोगो का बिलकुल भी नहीं था। लकिन दोस्तों स्वतंत्रता के बाद इस देश में आधुनिक भावधारा से जन्मे गणतंत्र का विकाश होने लगा।
आज के समय में भारत के सामान्य नागरिक भी राष्ट्र के शासन कार्य में भाग लेते है तथा एक निर्णयकारी भूमिका का पालन करते हैं।
6. विवाह प्रथा में परिवर्तन: - भारतीय परंपरा के अनुसार विवाह एक धर्मीय अनुष्ठान है। पति और पत्नी का सम्बन्ध जन्म-जन्मान्तर का है। जो दो स्त्री-पुरष एक बार विवाह के बंधन में बंध जाता है, वो कभी भी उस बंधन से मुक्त नहीं हो सकता।
लकिन दोस्तों आधुनिक भारत में ये प्रथा सम्पूर्ण रूप से नाकारा गया है। आधुनिक सोच के अनुसार विवाह कोई स्थाई धर्मीय अनुष्ठान नहीं है, ये केबल एक सामाजिक संधि है जिसको कभी भी तोडा जा सकता है। अगर पुरुष-नारी अपने वैवाहिक जीवन से सुखी ना हो तो वे उस सम्बन्ध को त्याग कर सकते है।
7. परिवार व्यबस्था में परिवर्तन: - आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन का सातवा उदाहरण है परिवार व्यबस्था में परिवर्तन।
पौराणिक भारत में संयुक्त परिवार का प्राधान्य ज्यादा था लकिन आधुनिक भारत में एकल परिवार व्यबस्था का प्राधान्य ज्यादा है।
नगरीकरण, औद्योगीकरण, आधुनिक शिक्षा की गति ही इस एकल परिवार व्यबस्था के विकाश का मुख्य कारण है।
पौराणिक भारत में संयुक्त परिवार का प्राधान्य ज्यादा था लकिन आधुनिक भारत में एकल परिवार व्यबस्था का प्राधान्य ज्यादा है।
नगरीकरण, औद्योगीकरण, आधुनिक शिक्षा की गति ही इस एकल परिवार व्यबस्था के विकाश का मुख्य कारण है।