Saturday, 23 March 2019

संयुक्त परिवार का अर्थ और आधार

संयुक्त परिवार का अर्थ 


दोस्तों हम सभी को तो ये मालूम है की परिवार मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है। एक होते है एकल परिवार और दूसरे होते है संयुक्त।

जिस परिवार में विवाहित पति-पत्नी तथा उनके बच्चो के आलावा कोई और दूसरा व्यक्ति नहीं रहता उसी परिवार को एकल परिवार कहा जाता है।

लेकिन दोस्तों कुछ परिवार ऐसे भी होते है जहाँ विवाहित पति-पत्नी और उनके बच्चो के आलावा पति-पत्नी के माता-पिता, भाई-बहन, चाचा-चाची भी एक साथ रहते है।

ऐसे परिवारों को ही समाजशास्त्रीक भाषा में संयुक्त परिवार कहाँ जाता है।

दोस्तों संयुक्त परिवार बनने के लिए कुछ आधार बेहद ही जरूरी होते है; आईए इन आधारो जानते है।     

संयुक्त परिवार का अर्थ और आधार

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संयुक्त परिवार का आधार

1. संयुक्त परिवार का प्रथम आधार है की इसमें विवाहित पति-पत्नी और उनके बच्चो के आलावा और भी अन्य लोग रहते है (पति-पत्नी के माता-पिता, भाई-बहन, चाचा-चाची, मामा-मामी इत्यादि) इसीलिए अन्य इंसानो की जरूरत यहाँ बेहद ही लाजमी है।

2. दूसरा मुख्य आधार है एक साथ खाना-पीना करना।  संयुक्त परिवार में परिवार के प्रत्येक सदस्यों को एक साथ खाना-पीना करना भी जरूरी है। अगर खाना-पीना अलग अलग होगा तो उसको हम एक परिवार नहीं कह सकते।  

3. धन या अर्थ व्यबहार का उद्देश्य परिवार का सामूहिक कल्याण। व्यक्ति की व्यक्तिगतकरण मानसिकता ऐसे व्यबस्था में बहुत कम होता है।

4. परिवार की संपत्ति के ऊपर प्रत्येक सदस्य का सामूहिक अधिकार। संयुक्त परिवार में संपत्ति का उपार्जन सब करते है लेकिन पूरा संपत्ति केन्द्रीभूत हो जाने के कारण कोई व्यक्ति अकेले उसको व्यबहार करने में शक्षम नहीं हो पाते।

संपत्ति का इस तरह केन्द्रीभूतकरण एहि निर्देशित करता है की प्रत्येक व्यक्ति का संपत्ति के ऊपर एक समान अधिकार है।   

5. सबका एक ही घर में वास। परिवार होने के लिए व्यक्तिओ का एक ही घर में रहना भी लाजमी है, चाहे वो संयुक्त या फिर एकल।