सामाजिक परिवर्तन के कारण
सामाजिक परिवर्तन के तो बहुत सारे कारण है , हो सकता है हम इन सभी को गिन गिन के थक जाये। दोस्तों इस लेख में हम इन सभी कारणों को अध्ययन नहीं करेंगे बल्कि इसके कुछ अत्यंत ही महत्वपूर्ण कारणों को जानेंगे, जिन्होंने अति तेज गति से सामाजिक परिवर्तन प्रक्रिया को आगे बढ़ाके ले आया है।
आईए अब उनसे परिचित होने की कोसिस करते है।
1. आधुनिकीकरण :
- आधुनिकीकरण एक ऐसी आंधी है जिसका विकाश 16
सदी के मध्यभाग से ही यूरोप में हुआ था। इसने दुनिआ के हर एक समाज को छुआ जिसके कारण दुनिआ की समाज व्यबस्था के बिभिन्न अंशो में बृहद परिवर्तन संघटित हुआ।
आधुनिकीकरण ने विश्व की राजनीती, अर्थनीति, धर्म, शिक्षा, प्राद्यौगिकी इन सभी दिशा में महत्वपूर्ण परिवर्तन संघटित किआ।
आज जो हम राजनीती गणतांत्रिक अधिकार को भोग कर रहे है, वो भी आधुनिकीकरण का ही देन है।
2. गणतंत्र का विकाश :
- गणतंत्र वो एक राजनैतिक व्यबस्था है जिसमे देश जनता दुवारा, जनता के लिए और जनता का ही शासन चलता है।
दोस्तों विश्व की राजनैतिक व्यबस्था में पहले की समय में (लगभग 17
वी सदी तक) राजतन्त्र का एकाधिपत्य था, वहाँ देश की सामान्य जनता का ना कोई अधिकार था और ना ही कोई स्वतंत्रता।
वे हमेशा ही राजा का आदेश अपने इच्छा और इच्छा के विपरीत जाकर भी पालन करते थे।
जबसे दुनिआ में आधुनिकीकरण के माध्यम से राजतन्त्र का पतन हुआ है और गणतंत्र प्रतिष्ठा हुआ है तबसे सामान्य नागरिको का अधिकार और स्वतंत्रता का विषय ही महत्वपूर्ण हो गया है।
अगर हम विश्व की आज के राजनैतिक व्यबस्था की बात करे तो आज ज्यादातर देश गणतंत्र में यकीन रखता है, जहाँ सामान्य जनता का अधिकार और स्वतंत्रता को कोई भी हानि नहीं कर सकता।
व्यक्ति स्वतंत्रता के कारण व्यक्ति प्रतिभा गणतंत्र में अधिक प्रकाशित होने लगते है, जो बिभिन्न अविष्कारों के माध्यम से समाज को आगे बढ़ाके ले जाते है।
आज अमेरिका, ब्रिटैन जैसे गणतांत्रिक देशो तेज सामाजिक परिवर्तन के लिए ये कारक काफी हद तक जिम्मेदार है।
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3. संस्कृतिकरण :
- संस्कृतिकरण विशेष करके जाती व्यबस्था के साथ सम्बंधित है। क्या है ये संस्कृतिकरण और किस तरह ये सामाजिक परिवर्तन में भूमिका पालन कर रहा है ?
दोस्तों संस्कृतिकरण एक प्रक्रिया है जहाँ हिन्दू धर्म के अंतर्गत निम्न जाती के लोग अपने सामाजिक स्थान की प्रगति करने के लिए प्रयास करता है।
अर्थात कोई निम्न जाती इसके दुवारा अपने जाती को नहीं बदलता लकिन अपने परंपरागत रीती-निति, सोच, खाद्य, वेशभूषा इत्यादि के बदलाव करके खुदको उच्च स्तर में ले जाते है।
उदाहरण के रूप में दक्षिण भारत के कुर्ग जाती के लोग आज इस प्रक्रिया के जरिए बहुत ही आगे निकल गए है। भारतवर्ष में जाती व्यबस्था की पतन का ये एक महत्वपूर्ण कारण है।
4. पाचात्यकरण :
- पच्छिमीकरण आज पुरे दुनिआ में लोकप्रिय है। व्यक्ति की प्राकृतिक चरित्र को बहुत क्षेत्र में समर्थित होने के कारण ये आज अति तेज गति से फैलता जा रहा है।
मई ये नहीं कहता की पश्चिमीकरण समाज के केवल उपकारी ही है, बिलकुल नहीं। इसके कई सारे अपकारिता भी है।
लेकिन दोस्तों ये हम सभी को तो मानना ही पड़ेगा की आज के समय में पाचात्यकरण सामाजिक परिवर्तन का एक अन्यतम कारण है।
उदाहरण : - भारत की शिक्षा व्यबस्था में परिवर्तन, भारतीय महिला की सामाजिक स्थान की उन्नतिकरण, सतिदाह प्रथा का बंधकरण,ये सभी पश्चिमी संस्कृति का ही प्रभाव है।
5. नगरीकरण :
- एक नगर में बिभिन्न जाती, धर्म, भाषा के लोग एक साथ रहते है इसके कारण सांस्कृतिक मिश्रण होना यहाँ बड़े ही आम बात है।
वही दूसरी ओर धन और व्यक्तिकेन्द्रिक व्यबस्था के प्राधान्य के कारण लोग हमेशा ही खुदकी लाभ के लिए यहाँ नए नए बातो को सोचते है और उनको समाज में प्रयोग भी करते है।
नए अविष्कार और सांस्कृतिक मिश्रण के कारण नगर में सामाजिक परिवर्तन तेज होते है। दोस्तों समाज में नगर का परिमाण जितना ज्यादा बड़ेगा परिवर्तन भी उतना ही तेज होगा।