समाजशास्त्र का परिचय
(sociology in Hindi)
समाजशास्त्र का परिचय जानना उन सभी के लिए जरूरी है जो मानब समाज के अध्ययन में रूचि रखते या फिर इस विषय के छात्र-छात्राये है।
दोस्तों दराचल ये समाजशास्त्र है क्या ?
अति कम शब्द के भीतर कहे तो समाजशास्त्र वो एक रस्ता है जो समाज की परिभाषा को जानने में व्यक्ति की मदद करता है।
दोस्तों दराचल ये समाजशास्त्र है क्या ?
अति कम शब्द के भीतर कहे तो समाजशास्त्र वो एक रस्ता है जो समाज की परिभाषा को जानने में व्यक्ति की मदद करता है।
ये दराचल एक उपाय या एक रस्ता है जिसके जरिए जाकर कोई व्यक्ति अथवा कोई समाजशास्त्राबिद मानब समाज में छिपे हुए रहस्यों को उद्घाटन करते है और मानव के ऊपर ही मानव का ज्ञान बृद्धि करता है।
दोस्तों ये जो शब्द है वो दो भिन्न शब्द के मिलन से बना हुआ एक शब्द है।
इसका एक है 'समाज ' और दूसरा है 'शास्त्र'। इसमें 'समाज' शब्द मानब समाज को प्रतिनिधित्तव करता है और 'शास्त्र' उस समाज को जानने के उपाय को प्रतिनिधित्तव करता है।
दोस्तों ये जो शब्द है वो दो भिन्न शब्द के मिलन से बना हुआ एक शब्द है।
इसका एक है 'समाज ' और दूसरा है 'शास्त्र'। इसमें 'समाज' शब्द मानब समाज को प्रतिनिधित्तव करता है और 'शास्त्र' उस समाज को जानने के उपाय को प्रतिनिधित्तव करता है।
खेर इसके कुछ अति महत्वपूर्ण चरित्र को जान लेते है चलिए। ये हमें समाजशास्त्र की परिभाषा को अच्छे से समझने में काफी ज्यादा मदद करेगी।
समाजशास्त्र का सामान्य ज्ञान (Sociology Basics in Hindi)
1. मानब समाज से जुड़ा हुआ : - समाजशास्त्र हमेशा ही मानब समाज को केंद्र करके अपना अध्ययन कार्य चलाता है। क्योकि इसको छोड़के समाजशास्त्र विषय का बिकाश नहीं हो सकता। ये इसका एक अपरिवर्तनशील चरित्र है।
इसका अध्ययन विषय जैसे की मानव समाज का गठन क्यों हुआ ?, मानवो के बिच सम्बन्ध का मूल आधार क्या है ?, परिवार, विवाह, जनसंख्या बृद्धि, जाती व्यबस्था, धर्म, अपराध इत्यादि; इन सभी को ये युक्तिपूर्ण रूप से विश्लेषण करता है।
इसका अध्ययन विषय जैसे की मानव समाज का गठन क्यों हुआ ?, मानवो के बिच सम्बन्ध का मूल आधार क्या है ?, परिवार, विवाह, जनसंख्या बृद्धि, जाती व्यबस्था, धर्म, अपराध इत्यादि; इन सभी को ये युक्तिपूर्ण रूप से विश्लेषण करता है।
2. समय के साथ गति : - दोस्तों समाजशास्त्र अपने सिद्धांतो को कितना भी क्यों वैज्ञानिक सत्य के ऊपर प्रतिष्ठित ना करे लेकिन ये हमेशा ही समय के साथ साथ परिवर्तित होते रहते है।
एक समय में प्रतिष्ठित एक सिद्धांत अन्य एक समय पर गलत भी प्रमाणित हो सकता है। इसीलिए इस विषय को आज तक प्राकृतिक विज्ञानो से अलग रखा गया है।
प्राकृतिक विज्ञान का सिद्धांत कभीभी परिवर्तित नहीं होता, उदाहरण के रूप में अगर आज से 100 साल पहले किसी वैज्ञानिक सिद्धांत को प्रतिष्ठा किआ गया था तो वो आज भी वैसा ही रहेगा लेकिन समाज विज्ञानं में ऐसा नहीं होता।
अगर आज से 100 साल पहले इस विषय के अंतर्गत किसी सिद्धांत को प्रतिष्ठा किआ गया था तो वो आज गलत भी साबित हो सकता है।
एक समय में प्रतिष्ठित एक सिद्धांत अन्य एक समय पर गलत भी प्रमाणित हो सकता है। इसीलिए इस विषय को आज तक प्राकृतिक विज्ञानो से अलग रखा गया है।
प्राकृतिक विज्ञान का सिद्धांत कभीभी परिवर्तित नहीं होता, उदाहरण के रूप में अगर आज से 100 साल पहले किसी वैज्ञानिक सिद्धांत को प्रतिष्ठा किआ गया था तो वो आज भी वैसा ही रहेगा लेकिन समाज विज्ञानं में ऐसा नहीं होता।
अगर आज से 100 साल पहले इस विषय के अंतर्गत किसी सिद्धांत को प्रतिष्ठा किआ गया था तो वो आज गलत भी साबित हो सकता है।
3. सामाजिक परिघटनाओं का अध्ययन : - सामाजिक परिघटनाओं का अध्ययन इसका अन्यतम मूल चरित्र है। कोई सामाजिक घटना क्यों होता है ? कैसे होता है ? और इसका परिणाम क्या हो सकता है, ये सभी इस विषय के दुवारा अध्ययन किआ जाता है।
उदाहरण : - लोग आत्महत्या क्यों करते है ?, विवाह परिवार और धर्म जैसे सामाजिक संस्थाओ का जनम क्यों हुआ, कब हुआ और कैसे हुआ इत्यादि इत्यादि।
उदाहरण : - लोग आत्महत्या क्यों करते है ?, विवाह परिवार और धर्म जैसे सामाजिक संस्थाओ का जनम क्यों हुआ, कब हुआ और कैसे हुआ इत्यादि इत्यादि।
4. सामाजिक समस्या का समाधान : - सामाजिक समस्याओ की समाधान करने के लिए भी समाजशास्त्र कोसिस करता है।
मानब समाज में चल रहे समस्याओ को समाधान करके समाज को पुनः शांतिपूर्ण रूप से प्रतिष्ठा करना इसके मूल उद्देश्यो में से अन्यतम है।
मानब समाज में चल रहे समस्याओ को समाधान करके समाज को पुनः शांतिपूर्ण रूप से प्रतिष्ठा करना इसके मूल उद्देश्यो में से अन्यतम है।
आपको बता देना चाहता हु की इसका जनम भी सामाजिक समाजिक समस्याओ की समाधान उपाय ढूंढ़ने के दुवारा ही हुआ है। सं 1839 में अगस्त कोम्टे ने इसका जनम दिआ था।
5. अतीत की घटना के ऊपर निर्भरशील: -
समाजशास्त्र के जरिए कोई समाजशास्त्रीक जब किसी घटना को अध्ययन करते है; तब वो घटना दराचल अतीत के ऊपर प्रतिष्ठित होता है।
दराचल अतीत में हुए अथवा अतीत से चल रहे घटना के बिना कोई भी समाज अध्ययन संभव नहीं हो सकता।
दराचल अतीत में हुए अथवा अतीत से चल रहे घटना के बिना कोई भी समाज अध्ययन संभव नहीं हो सकता।
उदाहरण : - किसी व्यक्ति के आत्महत्या करने के बाद ही ये अध्ययन करना संभव है की उसने आत्महत्या क्यों किआ ?
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1. मानब समाज: - जैसा हमने आपको ऊपर बताया की समाजशास्त्र हमेशा ही मानब समाज को केंद्र करके विकशित होता है। इसीलिए सबसे पहले मानब समाज ही इसके अध्ययन परिधि के अंतर्गत विषय है।
2. समाज में चल रहे परिघटना: - ये हमेशा ही मानब समाज में हुए या चल रहे घटनाओ के ऊपर अध्ययन करते है।
इसीलिए समाज में हो रहे घटना अथवा परिघटनाएं इसके अध्ययन परिधि के अंतर्गत विषय है। उदहारण: - चोरी, डकैती, हत्या, जनसंख्या बृद्धि, महिलाओ के ऊपर अत्याचार इत्यादि।
इसीलिए समाज में हो रहे घटना अथवा परिघटनाएं इसके अध्ययन परिधि के अंतर्गत विषय है। उदहारण: - चोरी, डकैती, हत्या, जनसंख्या बृद्धि, महिलाओ के ऊपर अत्याचार इत्यादि।
3. समाजशास्त्रीक: - मानब समाज है और सामाजिक परिघटनाएं भी है लेकिन उनको अध्ययन करने के हेतु कोई भी व्यक्ति नहीं है।
क्या अब समाजशास्त्र विषय को पूर्णता मिल पायेगा? बिलकुल नहीं। समाजशास्त्रीक इस विषय का मूल नायक है। इसीलिए ये अध्ययनकारी भी इस विषय की परिधि के अंतर्गत होते है।
क्या अब समाजशास्त्र विषय को पूर्णता मिल पायेगा? बिलकुल नहीं। समाजशास्त्रीक इस विषय का मूल नायक है। इसीलिए ये अध्ययनकारी भी इस विषय की परिधि के अंतर्गत होते है।
4. अध्ययन पद्धिति: - किसी घटना को कैसे अध्ययन किआ जाता है ? कौन सी पद्धिति प्रयोग किआ जाता है ये सब भी समाजशास्त्र के परिधि का अंतर्गत विषय है।
उदहारण : - सर्वेक्षण, नमूना संग्रह।
उदहारण : - सर्वेक्षण, नमूना संग्रह।