भारतीय परिवार के ऊपर वैश्वीकरण का प्रभाव (Bhartiya Parivaar Ke Upor Veshvikaran Ka Prabhav)
वैश्वीकरण एक सार्वजनीन सामाजिक प्रक्रिया है। आज दुनिआ में ऐसा कोई भी व्यबस्था या समाज नहीं जो वैश्वीकरण के प्रभाव से सम्पूर्ण मुक्त हो। अगर ऐसा समाज कही है भी तो वो लाखो में सायद एक होगा तथा वो पूर्णरूप से पिछड़ा हुआ होगा।
दुनिआ के इन बिभिन्न क्षेत्र में वैश्वीकरण का ये जो प्रभाव है वो समाज के एक अति महत्वपूर्ण संस्था परिवार के ऊपर भी साफ साफ दिखाई देता है। दोस्तों आधुनिक परिवार में इसके प्रभाव के कारण आज बहुत ही ज्यादा परिवर्तन हो रहा है। इस लेख में हम इसी बात को जानने की कोसिस करेंगे।
हम यहाँ आलोचना करेंगे भारतीय परिवार के ऊपर वैश्वीकरण के 5 मुख्य प्रभावो के बारे में, जिसने भारतीय परिवार व्यबस्था में तात्पर्यपूर्ण परिवर्तन लाया है।
भारतीय परिवार के ऊपर वैश्वीकरण का 5 मुख्य प्रभाव (Bhartiya Parivaar Ke Upor Veshvikaran Ka Prabhav)
1. एकल परिवार व्यबस्था की सृस्टि: - भारतीय परिवार के ऊपर वैश्वीकरण का सबसे पहला प्रभाव है एकल परिवार व्यबस्था की सृस्टि। परंपरागत भारतीय समाज में संयुक्त परिवार का प्राधान्य ज्यादा था। लकिन वैश्वीकरण के जरिए इस समाज में विकशित हुए आधुनिकीकरण के कारण एकल परिवार का प्राधान्य दिन व दिन भारतीय समाज में बढ़ने लगा।
2. नारी की सामाजिक स्थान में परिवर्तन: - परंपरागत भारतीय समाज के परिवारों में महिलाओ को निम्न माना जाता था। उनको वो मर्यादा नहीं मिल पाता था जो परिवार के पुरषो को प्राप्त होता था।
लकिन भारतीय समाज में वैश्वीकरण की गति जबसे तेज होने लगा तबसे महिलाओ की सामाजिक स्थान में भी परिवर्तन आने लगा। आज भारतीय परिवारों में वो सारे अधिकार महिलाओ को भी मिल पाटा है जो एक पुरुष को प्राप्त होता है।
3. पारिवारिक निर्णयकारी क्षमता में परिवर्तन: - एक समय ऐसा था जब परिवार का सभी निर्णय परिवार के जेस्त व्यक्ति दुवारा ही लिआ जाता था। बड़ो के निर्णय में सही-गलत विचार करने का अधिकार किसी दूसरे या छोटे को नहीं होता था।
लकिन आज वो परंपरा बदल सुका है; आज छोटे भी बड़ो के निर्णयों के ऊपर प्रश्न कर सकते है। पहले के समय में अगर कोई ऐसा करता तो उसको बड़ो का अपमान माना जाता था लकिन आज वो प्रथा यौक्तिक सोच के विकाश के कारण जा सुका है। पारिवारिक निर्णयकारी क्षमता में परिवर्तन आने को भी वैश्वीकरण का प्रभाव ही बोला जा सकता है।
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4. आत्मकेन्द्रिक मनोभाव का विकाश: - भारतीय समाज में जब संयुक्त परिवार का प्राधान्य ज्यादा था तथा टेक्नोलॉजी का प्रभाव कम था, तब परिवार के सदस्यगण एक दूसरे के साथ समय बिताता था, एक दूसरे के लिए सोचता था लकिन समय बीतते बीतते संयुक्त परिवार से एकल परिवार का विकाश होने लगा और साथ ही टेक्नोलॉजी भी धीरे धीरे समाज में छाने लगा।
वैश्विकरण के कारण हुए इन सामाजिक परिवर्तनों ने लोगो को धीरे धीरे आत्मकेन्द्रिक करने लगा। अगर आप आज के परिवारो को अध्ययन करोगे तो आपको पाता चलेगा की लोग ज्यादातर T. V, मोबाइल, कंप्यूटर इत्यादि में ही व्यस्त रहते है ; ना की एक दूसरे के साथ समय बिताने में।
5. पारिवारिक उच्चबो में परिवर्तन: - दोस्तों क्या आप सतर्क है की आपके घरो में जो जो पारिवारिक उच्चब पालन किए जाते है उनमे भी वैश्वीकरण का प्रभाव पड़ रहा है।
पहले के समय में पालन की जाने वाले उछब जैसे की: - साल गिरा, जन्म दिन, शुद्धि। आज के समय में पालन की जाने वाले उछब जैसे की: - aniversary, birth
day इत्यादि। हालाकि ये सभी पारिवारिक उछब एक जैसा ही है लकिन वैश्वीकरण के प्रभाव से इनको थोड़ा पश्चिमी रूप दिआ गया है।