Thursday, 10 January 2019

बेरोजगारी की समस्या

बेरोजगारी की समस्या


आज ये दुनिआ जितनी ज्यादा आधुनिक होती जा रही है समस्याए भी उतनी ही ज्यादा बढ़ती जा रही है, इ बढ़ती हुई सामाजिक समस्याओ में से एक अन्यतम है बेरोजगारी की समस्या 

दोस्तों क्या है ये बेरोजगारी की समस्या ? तथा इसका स्वोरुप क्या है? किस करणवर्ष ये विकशित होता है? और इसका समाधान सूत्र क्या है ?  

क्या आप जानना नहीं चाहोगे ? तो चलिए आज हामारे इस लेख पर हम इसी विषय के ऊपर आलोचना करते है।

सबसे पहले तो क्या है बेरोजगारी ?  

दोस्तों ये तो हम सभी को ज्ञात है की दुनिआ में जीबित रहने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को खाद्य, वस्त्र और स्थान की बेहद जरूरत पड़ती है। 

लकिन इन तीन मुख्य जरूरतो को पूरा करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को धन या अर्थ की प्रयोजन भी होती है और धन के जरूरत तभी पूरी होती है जब व्यक्ति को धन आहरणकारी काम करने मिलता है।
बेरोजगारी की समस्या

लकिन जब किसी व्यक्ति को अपने धन और अपने मन की जरूरत को पूरा करने के लिए कोई भी काम नहीं मिल पाटा तभी उस व्यक्ति को बेरोजगार कहा जाता है। एहि पर बेरोजगारी का आरम्भ होता है।

अगर हम इस संकल्पना को कम शब्द में ब्याख्या करे तो बोल सकते है की बेरोजगारी वो होता है जिसके कारण कर्म करने के लिए इच्छुक किसी व्यक्ति को कर्म करने नहीं मिल पाटा। 

मानब समाज में इस समस्या की बिकाश होने का बहुत सारा कारण है, उन बहुत सारे कारणों में से कुछ अत्यंत ही महत्वपूर्ण कारण इस प्रकार के है।

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बेरोजगारी की समस्या के कारण

1. जनसंख्या बृद्धि: - किसी देश या समाज के लिए जनसंख्या का कम होना जिस तरह खतरनाक है उसी तरह उससे भी ज्यादा खतरनाक है जनसंख्या का अत्यधिक बृद्धि होना। 

जनसंख्या अत्यधिक बृद्धि होने के कारण जितने भी नियोजन की सुबिधा निकलती है वो इस जरूरत को पूरा करने के लिए काफी नहीं हो पाता। हर साल हजारो लाखो की तादाद में छात्र-छात्राए अपना ग्रेजुएशन पूरा करती है।

लकिन स्कूल-कॉलेज से निकलने के बाद उनको करने के लिए कोई भी काम नहीं मिल पाटा, क्योकि इन हजारो लाखो छात्र-छात्राऔ को नियोजित करने के लिए जितने नियोजन सुबिधा की जरूरत पड़ती है, उतनी नियोजन की सुबिधा करने के लिए ना देश के सरकार शक्षम है और ना ही शक्षम है कोई व्यक्ति के व्यक्तिगत अनुष्ठान। 


2. औद्योगीकरण का अभाव: - किसी देश या समाज में नियोजन की सुबिधा तब ज्यादा बढ़ती है, जब उस देश या समाज में औद्योगिकरण की गति तीब्र होती है। 

दराचल आज दुनिआ के बहुत सारे देशो में औद्योगिकरण की गति तीब्र हो रही है लकिन अभीभी ऐसे बहुत सारे देश दुनिआ में मौजूद है जहा औद्योगिकरण बहुत ही ज्यादा दुर्बल या धीमा है।

इन देशो में उद्योगीकरण कम होने के कारण ज्यादा नियोजन की सुबिधा भी नहीं निकलती जिसके कारण बहुत सारे लोग यहा बेरोजगार ही रहते है।

अगर हम चीन की बात करे तो वहाँ औद्योगिकरण तीब्र गति से होने के कारण नियोजन भी ज्यादा होती है।

लकिन वही दूसरी ओर अगर भारत, बंगलादेश और पाकिस्तान की बात करे तो वहाँ औद्योगिकरण धीमा होने के कारण नियोजन की सुबिधा भी बहुत कम निकलती है।


3. कारिकारी दक्षता का अभाव: - ये भी बेरोजगारी की समस्या का एक और अति महत्वपूर्ण कारण है। 

दराचल सरकार अगर किसी व्यक्ति को रोजगार देने में शक्षम ना भी हो ना तब भी व्यक्ति अपने जीबन-यापन के लिए निम्न मान का धन या अर्थ आहरण कर सकते है लकिन इसको करने के लिए व्यक्ति को करिकारी रूप से दक्ष होना भी बेहद जरूरी है।

कुछ व्यक्ति तो अपने करिकारी दक्षता के माध्यम से अपने लिए अर्थ आहरण कर लेते है लकिन कुछ व्यक्तिओ को करिकारी ज्ञान बिलकुल भी नहीं होता।

इसमें कोई दोहराई नहीं है की, अगर सरकार ऐसे व्यक्तिऔ को रोजगार देने में शक्षम नहीं हो पायेगा तो वहाँ ज्यादातर लोगो को बेरोजगार ही रहना पड़ेगा


4. व्यक्ति की मानसिकता: - अगर इंसान चाहे तो वो कुछ भी कर सकता है। चाहे वो कितना भी कठिन क्यों ना हो। लकिन ज्यादातर बेरोजगारों की क्षेत्र में देखा गया है की वे ज्यादा कठिन काम नहीं करना चाहते।

विशेष करके हामारे भारतवर्ष में ज्यादातर लोग सरकारी नौकरी की आशा में ही अपना जीवन का आधा भाग पार कर देते है। अगर हम इच्छा करे तो किसी भी समस्या से लड़ सकते है, ये बेरोजगारी तो एक मक्खी के बराबर है।

व्यक्ति के अलसपूर्ण मनोवृत्ति भी बेरोजगारी का एक विशेष कारण है। 
  

बेरोजगारी की समस्या के प्रकार

1. समयानुकूल नियोग अभाव: - समयानुकूल बेरोजगारी दराचल किसी साल के किसी विशेष समय के साथ जुड़ा हुआ होता है। इसको ऋतु-संबंधी नियोग अभाव भी बोला जाता है।

उदाहरण के रूप में आइसक्रीम बेचने वाले कोई व्यक्ति का काम सिर्फ गर्मी के दिनों में ही ज्यादा होता है लकिन सर्दी के दिनों में इन कर्मचारीओ को बेरोजगार ही रहना पड़ता है।

इसका कारण है आइसक्रीम की बिक्री गर्मिओ के दिनों में ही ज्यादा होती है, सर्दिओ में नहीं।


2. अनिच्छाकृत नियोग अभाव: - कुछ व्यक्तिओ को तो बिभिन्न कर्म प्रतिस्थानो में काम मिल जाता है लकिन वे लोग वहा काम करके बिलकुल भी खुश नहीं रह पाते इस ना-खुसी का बहुत सारा कारण हो सकता है।

सबसे पहले तो कम बेटन और दूसरा कारण उस काम के बदले कोई दूसरी अच्छी काम करने के प्रति इच्छा। ऐसे अनिच्छाकृत मन से कोई व्यक्ति जब किसी कर्म में नियोजित होता है तभी इसको अनिच्छाकृत नियोग अभाव बोला जाता है।


3. अस्थायी नियोग अभाव: - इस प्रकार का नियोग अभाव बहुत ही कम समय के लिए होता है। उदाहरण के रूप में जब कोई छात्र अपना इंजीनियरिंग सम्पूर्ण करता है तब उसको सीधा ही नौकरी की प्राप्ति नहीं होती। इसके लिए उसे थोड़ा समय इंतजार करना पड़ता है।

क्योकि उसको कम समय के दौरान करिकारी रूप से अपने दक्षता को बृद्धि करना पड़ता है। ऐसे कम समय के लिए बेरोजगार होने वाले व्यक्तिओ को ही अस्थायी बेरोजगार कहाँ जाता है।


4. पुर्णकालिन नियोग आभाव: - ज्यादातर बेरोजगार इसी भाग के अंतर्गत होते है। इस प्रकार के बेरोजगारों को कोई काम नहीं मिल पाता।

वे पुरे साल बेरोजगार ही रहते है और भबिस्व में भी उनका कोई कर्म निच्चयता नहीं होता। आज के तारीख में भारतवर्ष में लगभग 3.5 करोड़ पुर्णकालिन बेरोजगार है।


बेरोजगारी की समस्या मुख्य विशेषता  

1. बेरोजगारी के दौरान बेरोजगार व्यक्ति कर्म करने के लिए इच्छुक होता है लकिन उसको करने के लिए कोई भी काम नहीं मिल पाता है।

2. बेरोजगारिता एक ऐसा सामाजिक समस्या है; जो बिभिन्न सामाजिक समस्याओ के कारण जन्म होता है। हालाकि हर एक सामाजिक समस्या एक दूसरे के साथ जुड़ा हुआ होता है।  

3. बेरोजगारी एक अर्थ-सामाजिक समस्या है इसके दौरान व्यक्ति की अर्थ-सामाजिक अवस्था बहुत ही ख़राब हो जाता है।

4. ये एक सर्बजनिन सामाजिक परिघटना है। अर्थात दुनिआ में ऐसा कोई भी मानब समाज नहीं जो बेरोजगारी से नहीं जुंज रहा होगा।

बेरोजगारी की समस्या- समाधान उपाय

1. उद्योगीकरण की गति को तीब्रतर करना।
2. कारिकारी शिक्षा का द्रुत बिकाश।
3. जनसंख्या नियंत्रण।
4. लोगो को आत्मनिर्भर होने का ज्ञान देना।