जनजाति समाज की विशेषता
दुनिआ का कोई भी मानब समाज हो उसका अपना खुदका अलग अलग विशेषता होता ही है। दोस्तो आज हम इस लेख में जनजाति समाज की विशेषताओ को जानेंगे। आशा करता हूँ की ये विशेषता आपके लिए काफी सहायक होगा।
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1. एक जैसे भाषा: -
जनजाति समाज में लोग एक भाषा ही बोलते है। उनके भाषा एक दूसरे से बिलकुल भी भिन्न नहीं होता। लकिन अगर आप इसके बिपरीत किसी नगरी समाज को अध्ययन करोगे तो आपको वहाँ लोगो के बिच बिभिन्न प्रकार के भाषा बोलते हुए देखने मिलेगा।
2. दुर्गम क्षेत्र में वास: -
जनजाति समाज ज्यादातर दुर्गम क्षेत्र में ही विकशित होता है। नगरी समाज से ये बहुत ज्यादा अलग तथा पिछड़ा हुआ होता है। ज्यादातर जनजाति लोग जंगल, पहाड़ इत्यादि इलाको में ही वास करते है।
3. एक जैसे शारीरिक गठन: -
जनजाति लोगो की शारीरिक गठन एक जैसे होते है। बाकि दुनिआ से अलग रहने के कारण दूसरे मानब जातिओ के साथ उनके विवाह ज्यादा नही हो पाता। इसके कारण जनजातिओ की खून में किसी दूसरे मानब जाती का खून नहीं मिल पाटा। एहि वो कारण है जिसके वजह से जनजाति लोग देखने में ज्यादातर एक जैसे ही होते है।
4. अंधबिस्वास का प्रभाव: -
जनजाति समाजो की ये एक और अन्यतम मुख्य विशेषता है। आधुनिक समाज से लगभग अलग होके रहने के कारण शिक्षा क्षेत्र में ये लोग काफी दुर्बल होते है। आधुनिक शिक्षा के अभाव के कारण ये लोग यौक्तिक तरीके से चीज़ो को नहीं समझ पाते, जिसके कारण जनजातिओ के बिच भुत-प्रेत, दानब-देवता इत्यादि बिस्वास बहुत ही ज्यादा होता है।
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5. पिछड़ा हुआ समाज: -
शिक्षा, स्वास्त्य, खेती इन सभी दिशाओ में भी जनजाति लोग बहुत ही पिछड़े हुए होते है। हालाकि आज-कल बिभिन्न देशो की सरकारो ने इन विषयो के ऊपर ध्यान देना सुरु किआ है, लकिन अभीभी ये लोग बाकि आधुनिक समाजो से हज़ारो गुना पीछे ही है।
6. धीमा सामाजिक परिवर्तन: -
जनजाति समाज आधुनिकता के प्रभाव से लगभग अलग होके रहने के कारण अत्यंत रक्षणशील होते है। ये लोग अपने परंपरागत नीतिओ को कभीभी त्याग नहीं करते। लकिन दोस्तों इनके जो ज्यादातर नीतिया होते है वो लगभग अंधबिस्वास से घिरा हुआ होता है। अंधबिस्वास, अयौक्तिक तथा रक्षणशील सोच के कारण इनके समाज की सामाजिक परिवर्तन की गति बहुत ही ज्यादा धीमा होता है।
7. एक संस्कृति: -
हालाकि इस बात को मुझे सबसे पहले उल्लेख करना चाहिए था, लकिन जो भी देर आए दुरुस्त आए। दोस्तो मैंने आपको ऊपर ही बताया था की जनजाति लोगो की भाषा एक जैसे होते है। दोस्तो आपको बता देता हूँ की भाषा के साथ साथ इन लोगो का खान-पान, पहनावा, नृत्य-गीत, रहन-सहन ये सभी एक जैसे ही होते है। इस सांस्कृतिक सादृश्यता का मूल कारण एहि है की ये लोग बाकि दुनिआ से अलग रहते है।
8. सांस्कृतिक चेतना: -
दुनिआ का हर एक समाज और उस समाज में रहने वाले लोग अपने संस्कृति को बचाने के लिए सचेतन रहते है। जनजाति लोगो के बिच भी सांस्कृतिक चेतनाबोध होता है। वे भी अपने संस्कृति को बचाने के लिए सदा-सतर्क तथा सचेतन रहते है।
क्या आप जानते है की इनके संस्कृति को अगर कोई व्यक्ति निंदा करता है या नहीं हानि पहुंचने की कोसिस करता है, तो वहाँ उस व्यक्ति को सामाजिक कानून अनुसार कठोर से कठोर दंड दिआ जाता है। कुछ कुछ जनजातीय इलाके में तो ऐसे नियम भंगकारी व्यक्ति को मृत्यु दंड तक प्रदान किआ जाता है।