सामाजिक सुरक्षा
किसी ने सही कहाँ है की मनुष्य की जीबन का कोई भी भोडोसा नहीं है, कभीभी कुछ भी हो सकता है। और वही दूसरी ओर आज का जो आधुनिक समय है वहाँ व्यक्ति के जीबन की निशयता और भी ज्यादा कम है। इसी आधुनिक समाज व्यबस्था के विकाश के कारण ही आज सामाजिक सुरक्षा की संकल्पना का विकाश अति तेज़ गति से हो रहा है।
लकिन सामाजिक सुरक्षा अचल में किसको कहलाता है ? क्या आप जानना नहीं चाहोगे ? दोस्तों आजके हामारे इस लेख का मूल विषयबस्तु यही है। इस लेख में हम सामाजिक सुरक्षा के विशेषता, प्रकार, उपाय इन सभी चीज़ो को अच्छे से जानेंगे। लकिन इन सब विषयो को अध्ययन करने से पहले ये अचल में क्या है? जान लेते है चलिए।
आधुनिक समाज जीवन में व्यक्ति के ऊपर कभीभी कुछ भी विपदा आ सकती है, वो विपदा कुछ भी सकता है। जैसे की दुर्घटना, नौकरी चली जाना, अपना धन-दौलत गवा बैठना, रोगग्रस्त होना, मृत्यु होना इत्यादि इत्यादि। सामाजिक सुरक्षा एक ऐसा व्यबस्था है जिसके जरिए इन समस्याओ से जुंग रहे व्यक्तिओ को उस समस्या से उभरने में मदद की जाती है।
लकिन हाँ आपको पहले ही बता देना चाहता हु की इस व्यबस्था के जरिए व्यक्ति को लाभ लेने के लिए पहले से ही मूल्य देके रखना पड़ता है। इस व्यबस्था का एक अति सरल और सर्बपरिचित उदाहरण है LIC (Life Insurance Corporation of India).
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सामाजिक सुरक्षा की विशेषता
1. सामाजिक सुरक्षा का प्रथम मुख्य विशेषता यही है की ये हमेशा ही सामाजिक कल्याण के परिधि के अंतर्गत होता आया है। किन्तु आपके ज्ञातार्थ पहले ही बता देता हु की ये दोनों संकल्पनाएँ एक नहीं है। दोनों ही अलग अलग है। पहले तो सामाजिक कल्याण की परिधि बहुत ही ज्यादा बड़ी है लकिन इसके बिपरीत सामाजिक सुरक्षा केबल सामाजिक कल्याण एक भाग मात्र है।
2. सामाजिक सुरक्षा का महत्व तभी ज्यादा आती है जब कोई व्यक्ति किसी बिपदा में पड़ता है। अर्थात कोई व्यक्ति जब किसी बिपदा में पड़ता तभी उसको इस व्यबस्था से लाभ प्राप्त होता है। उदाहरण के रूप में अगर कोई व्यक्ति
LIC में अपना बिमा करवाता है और अगर बाद में किसी कारण उसकी मृत्यु हो जाती है तब उसके अनाथ बच्चो तथा परिवार को
LIC के तरफ से आर्थिक सुरक्षा मिलती।
यही बात ONGC, OIL में कर्मरत कर्मिओ के क्षेत्र में भी लागु होता है। ONGC और
OIL में एक समय पर श्रमिक रहे अवकाश प्राप्त किसी व्यक्ति को अगर बुढ़ापे में शारीरिक इलाज की जरूरत पडती है तब
ONGC और
OIL उनको मुक्त में इलाज प्रदान करती है।
3. सामाजिक सुरक्षा की नीतिया एक समय पर एक साथ पुरे समाज को अपने क्षेत्र अंतर्गत नहीं करती। इसमें केबल व्यक्ति सुरक्षा का महत्व ज्यादा होता है।
4. अगर समाज के किसी व्यक्ति को इसके दुवारा लाभाम्बित होना है, तो उसको पहले से ही अपना योगदान किसी विशेष सुरक्षा प्रदानकारी अनुष्ठान को देना होगा। जैसे की अगर
LIC के दुवारा आपको लाभ लेना है तो आपको वहाँ पहले से ही अपना बिमा करवाना पड़ेगा।
5. जब हम ये निश्चित होते है की हम सुरक्षित है तो हामारे मन से सारे डर या भय निकल जाता है। सामाजिक सुरक्षा भी इसी सिद्धांत के ऊपर अपना कार्य संपन्न करता है। ये व्यक्ति को ये आश्वस्त करके रखता है की तुम और तुम्हारा परिवार सुरक्षित है।
सामाजिक सुरक्षा के प्रकार
सामाजिक सुरक्षा के कई प्रकार है। लकिन यहाँ हम कुछ अति मुख्य प्रकारो को ही आलोचना करेंगे। वे मुख्य प्रकार कुछ इस तरह के है: -
1. शारीरिक सुरक्षा: -
शारीरिक सुरक्षा इसका वो प्रकार है जहाँ व्यक्ति को किसी पद्धिति के माध्यम से किसी दुर्घटना, रोग या बड़े बीमारी के समय चिकित्सा सेवा प्रदान किआ जाता। उदाहरण के रूप में इसी पद्धिति के माध्यम से
ONGC में कर्मरत या अवशरप्राप्त श्रमिक को दुर्घटना, रोग या बड़े बीमारी के समय मुफ्त में चिकित्सा सेवा प्रदान किआ जाता। ये चिकित्सा सेवा उस समय में किआ हुआ परिश्रम का मूल्य है; जब वे एक कर्मरत श्रमिक थे।
2. मृत्यु के बाद की सुरक्षा: -
हर एक व्यक्ति का अपना अपना परिवार होता है। खुद के बाल-बच्चे भी होते है। जब तक वो जीबित रहता है तब तक उसका परिवार सुख से जीता है लकिन अगर किसी दुर्घटना या रोग में पतित होकर उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार का क्या होगा ? क्या वो अनाथ नहीं हो जायेंगे ? बिलकुल हो जायेंगे। मृत्यु के बाद की सुरक्षा व्यक्ति को इसी कार्य में मदद करती है।
भगवान ना करे, लकिन अगर कभी किसी कारण परिवार को नेतृत्व देने वाले मुखिया की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को इस सामाजिक सुरक्षा पद्धिति के माध्यम से सुरक्षा प्रदान किआ जाता है। यहाँ ज्यादातर सुरक्षा पद्धिति आर्थिक ही होती है। उदाहरण के रूप में - आपको LIC के जो "जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी" quotes सुनने मिलता है ना वो इसी का भाग है।
3. स्वेच्छा से लिआ गया सुरक्षा: -
जब व्यक्ति अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए स्वेच्छा से कोई सामाजिक सुरक्षा व्यबस्था का अंश बनता है तब उसको स्वेच्छा सामाजिक सुरक्षा बोला जाता है। उदाहरण: -
LIC में बिमा करवाना।
4. बाध्यतामूलक सुरक्षा: -
इस व्यबस्था में व्यक्ति की कुछ इच्छा हो या नहीं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योकि संस्थागत निति-नियमो के माध्यम से इस सामाजिक सुरक्षा व्यबस्था को व्यक्ति के ऊपर और व्यक्ति के लिए प्रयोग किआ जाता है। उदाहरण: -
ONGC और
OIL में नियोजित कर्मचारीओ के स्वास्थ्य रक्षा के अनुष्ठान दुवारा ही किआ गया व्यबस्था।
सामाजिक सुरक्षा के उपाय
1. जीबन बीमाकरण।
2. बृद्धअवस्था में पेंशन की व्यबस्था करना।
3. स्वस्थ्य बीमाकरण।
4. बिभिन्न प्रकार के संपत्ति जैसे की गाड़ी, घर इत्यादि का बीमाकरण।