महिला सशक्तिकरण
आधुनिक लोकप्रिय समजतात्विक संकल्पनाओं में से महिला सशक्तिकरण एक बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय संकल्पना है। एक समय था जब केबल शारीरिक रूप से दुर्बल होने के कारण महिलाओ को पुरषो की तुलना में निम्न सामाजिक स्थान प्रदान किआ जाता था।
लकिन बिस्व की समाज व्यबस्थाऔ में जब से आधुनिकीकरण की गति तेज होने लगी है तबसे महिलाओ को भी धीरे धीरे वो सारे अधिकार प्राप्त होने लगी है; जो सारे अधिकार एक पुरुष को समाज में प्राप्त होता है।
महिला सशक्तिकरण संकल्पना पूर्ण रूप से बिस्व की महिला जाती को शक्तिशाली करने का समर्थन करता है। इस अबधारणा के अनुसार एक नारी को कभी भी पुरषो की तुलना में निम्न नहीं माना जा सकता।
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हाँ ये बात सत्य है की प्रकृति नारी को पुरुष की शारीरिक शक्ति की तुलना में थोड़ा दुर्बल करके सृजन करता है लकिन इसका अर्थ ये नहीं की वे मानसिक रूप से भी दुर्बल ही हो।
एक महिला वो हर काम कर सकती है जो पुरुष कर सकता है। और आज कल तो शारीरिक दिशाओ में भी ये काफी शक्तिशाली होने लगी है। मल्ल यूद्ध, बॉक्सिंग, इत्यादि क्रियाओ में महिलाये अंश ग्रहण करके आज देश और समाज को भी ये गर्वित कर रही है। उदाहरण: - मैरी कॉम (मणिपुर की), हिमा दास (असम की) इत्यादि।
अगर हम इस अवधारणा को एक ही वाक्य में प्रकाशित करने की कोसिस करे तो कह सकते है की महिला सशक्तिकरण वो एक उपाय या प्रक्रिया है दुवारा समाज की महिलाओ को आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, मानसिक सभी दिशाओ में शक्तिशाली रूप से विकशित किआ जा सकता है।
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महिला सशक्तिकरण की विसेषता
1. सामाजिक समस्या का समाधान: - महिलाओ को शोषण करना, सामाजिक अधिकारों से बंचित करना, पुरषो के तुलना में निम्न स्थान प्रदान करना ये सारे एक एक सामाजिक समस्या है। जब महिला सशक्तिकरण की बात आती है तब सबसे पहले इन समस्याओ से उनको मुक्त करने की कोसिस किआ जाता है।
इन समस्याओ से महिलाओ को मुक्त किए बिना कोई भी सशक्तिकरण आंदोलन संभव नहीं है। इसीलिए ये इस संकल्पना का प्रथम मुख्य विशेषता है।
2. समान अधिकार प्रदान: - महिलाओ की सारी समस्याओ का मुख्य केंद्र है पुरुष केंद्रिकता। अर्थात ज्यादातर समाजो की नीति-नियमो को पुरषो के दुवारा नियंत्रित किआ जाना। इसके कारण पुरुष ज्यादातर नीति-नियम ऐसे तैयार करते की महिलाओ को इसके दुवारा अपने से निचे रखा जाये।
महिला सशक्तिकरण पुरषकेंड्रिक समाजो की इन आत्मकेन्द्रिक नीतिओ को पूर्ण रूप से विरोध करती है। और समाज में पुरुष-नारी की सामान अधिकार का समर्थन करती है।
3. आधुनिक सोच के ऊपर प्रतिष्ठित: - आधुनिक सोच युक्ति तर्क के ऊपर प्रतिष्ठित होता है। आधुनिकताबाद हमेशा ही अयौक्तिकता को नकारता आया है। भारतीय समाज में आधुनिकीकरण की गति तेज़ होने से पहले की समाज व्यबस्था को अगर आप देखोगे तो आपको पता चलेगा की उस समय समाज में महिलाओ की अवस्था अति दुर्बल थी।
महिलाओ को शोषण करना, अत्याचार करना, सामाजिक अधिकार से वंचित करना, ये हर एक सोच अयौक्तिक है। महिला सशक्तिकरण हमेशा ही इन सोचो को बिरोध करता है क्योकि इस संकल्पना को जो संकल्पना इंधन प्रदान करता है वो है अधुनिकताबाद; जो पूर्ण रूप से यौक्तिक सोच के ऊपर प्रतिष्ठित है।
जरा आप खुद सोचिए अगर आज हामारे समाज व्यबस्था में आधुनिकीकरण तीब्र नहीं होता तो क्या महिलाओ को वो सारे अधिकार और सम्मान प्राप्त होता जो आज उनको प्राप्त हो रहा है।
4. महिलाओ की सम्मान बृद्धि: - जब तक किसी व्यक्ति के ऊपर अत्याचार होता रहेगा, शोषण होता रहेगा तब तक उस व्यक्ति को समाज में कभी भी उच्च सम्मान प्राप्त नहीं होगा और ना ही कभी संभव हो पायेगा।
महिला सशक्तिकरण एक ऐसा उपाय है जिसके माध्यम से महिलाओ के ऊपर हो रहे सारे के सारे अत्याचार, शोषण इत्यादि को निर्मूलकरण किआ जा सकता है। इसके दुवारा उनकी सम्मान में बृद्धि भी होती है और उनको उच्च सामाजिक स्थान की भी प्राप्ति होती है।
महिला सशक्तिकरण के तरीके
1. शिक्षा की व्यबस्था: - एक व्यक्ति को पूर्ण से मानब बनके जीने के लिए जिस चीज़ की सबसे ज्यादा जरूरत है वो है शिक्षा। शिक्षा दुवारा व्यक्ति ये अनुभव कर पाता है की वो अचल में कौन है। एक समय था जब महिलाओ को स्कूल, कॉलेज जाने नहीं दिआ जाता था। उस समय जब माता-पिता तथा घरवाले ये मानके चलते थे की बच्ची स्कूल जाके क्या करेगी? एक ना एक दिन तो शादी करके किसी दूसरे घरपे चली जाने ही पड़ेगी।
इसीलिए स्कूल जाने अच्छा है की घर में रहकर वर्तन धोना, कपडे धोना, खाना बनाना, बच्चे पालना ये सब सिख ले। उस समय में समाज की इन्ही सोचो के वजह से महिलाओ को अपने अधिकारों से वंचित होके रहना पड़ता था।
लकिन आज समय बदल सुका है देश का कानून, व्यक्तिओ के सोच इत्यादि उनको भी उच्च शिक्षा ग्रहण करने की अनुमति प्रदान कर रही है। इसी कारण आज भारत जैसे देशो की महिलाये भी बिस्व में अपना नेतृत्व देने को शक्षम हो रही है। उदाहरण: - इंदिरा नुई (Pepsico Chaiman), चंदा कोच्चर ( MD and chief
executive officer of ICICI Bank) इत्यादि।
ये बहुत ही ज्यादा दुःख की बात है की कुछ कुछ समाजो में अभीभी ऐसा परंपरा मौजूद है, जहा नारीओ को उच्च शिक्षा ग्रहण करने नहीं दिआ जाता है। हालाकि आशा किआ जाता है की अति कम समय के भीतर आधुनिकीकरण की वजह से उन सारे जगहों पर भी ये सारे परम्पराए ख़तम होंगी।
2. कानून व्यबस्था को शक्तिशाली करना: - एक देश में रहने वाले व्यक्तिया हमेशा उस देश के कानून व्यबस्था को मानने के लिए बाध्य है। इसीलिए महिलाओ की सुरक्षा तथा विकाश के लिए कानून व्यबस्था को इतना ज्यादा मजबूत बनाना पड़ेगा, की कोई व्यक्ति उनके अधिकार और विकाश के रास्ते को रोकने का प्रयास भी ना कर पाए।
जैसे की अगर समाज के कोई व्यक्ति कुछ अयौक्तिक बाधा लगाकर उनको शिक्षा से वंचित करने की कोसिस करता है तो उसको कठोर से कठोर दंड देने की व्यबस्था करना होगा, ताकि आगे चलके ऐसी दु :चेस्टा ना कर पाए। अगर ज्ञान देने पर ज्ञान लेने को व्यक्ति प्रस्तुत ना हो तो कानून की कठोरता ही ऐसे व्यक्तिओ को रास्ते पर ला सकता है।
3. संविधानिक सुरक्षा की व्यबस्था करना: - ये हम सभी का नैतिक कर्तब्य है की हामारे समाज में रहने वाले हर एक व्यक्ति को हम अपने साथ आगे बढ़ाके ले जाये। एक समय में महिलाओ के ऊपर अत्याचार हुआ, शोषण हुआ, अपने अधिकारों से भी उनको वंचित रखा गया।
लकिन अब सभी समझ सुके है की वो सारे नियम, सारे प्रथा अयौक्तिक थे। उस समय जो जो अधिकारों से वंचित किआ गया वो अब उनको मिलना चाहिए। इसीलिए संविधानिक सुरक्षा की व्यबस्था करना इसके लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी है ताकि पुरुष और नारी दोनों साथ में कदम से कदम मिलाके चल सके।
निष्कर्ष
सही और गलत इन दो चीज़ो से ही एक मानब समाज का निर्माण होता है। लकिन सबकी भलाई इसीमे है की जितना हो सके गलत को कम किआ जाये। पहले की समय में की गयी गलती आज सुधार ने की जरूरत है। आशा करते है की हामारे देश के प्रत्येक समाज को भी एक दिन ये सारे चीज़ अच्छे से समझमे आएगी।