इमाइल दुर्खिम का सामाजिक तथ्य
(Social facts of Emile Durkheim in Hindi)
इमाइल दुर्खिम के सामाजिक तथ्य संकल्पना को उन्होंने प्रकाशित किआ था उनके एक अति महत्वपूर्ण पुस्तक ‘रूल्स ऑफ सोसिओलोजिकल मेथडस’ में सं
1895 को।
इमाइल दुर्खीम की सामाजिक तथ्य अबधारणा के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो भी आचरण करता है वो कभी भी सामाजिक प्रभाव से मुक्त नहीं हो पाता अर्थात एक व्यक्ति हमेशा ही समाज में प्रचलित व्यबस्था तथा नियमो के अनुसार ही अपना आचरण करता है।
इसको समझाने के लिए उन्होंने व्यक्ति के आत्महत्या करने जैसा घटनाओ के ऊपर अध्ययन किआ था। (जिसको हम उनके विख्यात Suicide सिद्धांत के नाम से भी जानते है) .
इसको समझाने के लिए उन्होंने व्यक्ति के आत्महत्या करने जैसा घटनाओ के ऊपर अध्ययन किआ था। (जिसको हम उनके विख्यात Suicide सिद्धांत के नाम से भी जानते है) .
अन्य समाज दार्शनिको के अनुसार एक व्यक्ति जो आत्महत्या करता है, उसको देखने से ऐसा लगता है की ये उस व्यक्ति का पूर्ण रूप से निजी बात था लकिन दुर्खिम ने इस बात को गंभीर अध्ययन के दुवारा सम्पूर्ण रूप से नाकारा है।
उन्होंने अध्ययन में पाया की एक व्यक्ति जो आत्महत्या करता है उसके ऊपर समाज की बाहरी शक्तिओ का प्रभाव पड़ता है। जैसे की उस व्यक्ति के परिबार जन, दोस्त, प्रेमिका, सह-कर्मी और सरकार इत्यादि।
उन्होंने अध्ययन में पाया की एक व्यक्ति जो आत्महत्या करता है उसके ऊपर समाज की बाहरी शक्तिओ का प्रभाव पड़ता है। जैसे की उस व्यक्ति के परिबार जन, दोस्त, प्रेमिका, सह-कर्मी और सरकार इत्यादि।
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मान लीजिए एक छात्र बहुत मेहनत से पढ़ाई करता है ताकि वो परीक्षा में अवल स्थान पर आ सके, लकिन दुर्भाग्यबर्श वो छात्र अवल स्थान पर नहीं आ पाता। लकिन उसने पहले ही अपने दोस्त, माता-पिता और अन्य स्वजन से ये बोल के रखा है की वो इस बार अवल स्थान पर आएगा ही आएगा।
लकिन आने में असमर्थ होने के कारण जिन लोगो को उसने पहले ही ये बोला था की में अवल स्थान पर आऊंगा, उन लोगो ने अब उसका काफी मजाक उड़ाना सुरु कर दिआ।
लकिन आने में असमर्थ होने के कारण जिन लोगो को उसने पहले ही ये बोला था की में अवल स्थान पर आऊंगा, उन लोगो ने अब उसका काफी मजाक उड़ाना सुरु कर दिआ।
और बाद में ये मजाक उसके लिए इतना ज्यादा हो गया की उसने ये सह नहीं पाया और अंत में इन अपमानो से मुक्ति पाने के लिए उसने खुदखुशी को ही आखरी रास्ता मान लिआ।
घटना को ऊपर ऊपर देखने से ऐसा लगता है की व्यक्ति ने अपने इच्छा से ये कदम उठाया लकिन गंभीर अध्ययन से ये पता चलता है की इस घटना में सामाजिक प्रभाव बहुत ही ज्यादा था।
हालाकि व्यक्ति की मानसिक बीमारी और रक्त के उत्तराधिकार प्रश्न को भी यहाँ अस्वीकार नहीं किआ जा सकता लकिन सामाजिक प्रभाव का महत्व इस घटना में काफी ज्यादा है।
अब इस लड़के ने जो आत्महत्या किआ उसको हम इमाइल दुर्खिम की भाषा में व्यक्तिगत बात नहीं बोल सकते, क्यों बाकि लोगो के दुवारा हुए अपमान के कारण ही उस छात्र ने आत्महत्या किआ या उसका मृत्यु हुआ।
घटना को ऊपर ऊपर देखने से ऐसा लगता है की व्यक्ति ने अपने इच्छा से ये कदम उठाया लकिन गंभीर अध्ययन से ये पता चलता है की इस घटना में सामाजिक प्रभाव बहुत ही ज्यादा था।
इमाइल दुर्खिम से भी पहले बहुत सारे समाज दार्शनिको ने 'आत्महत्या परिघटना' के ऊपर अध्ययन किआ था लकिन दोस्तों उनके सिद्धांतो में सामाजिक प्रभाव का महत्व बहुत ही कम था।
उनमे से ज्यादातर समाजशास्त्रीक ये मानते थे की आत्महत्या व्यक्ति के मानसिक बीमारी और रक्त के उत्तराधिकार का विषय है, इनमे समाज का ज्यादा महत्व या प्रभाव नहीं है।
पहली बार इमाइल दुर्खिम ने इन दार्शनिको ने इन सारे बातो को गलत साबित किआ। दोस्तो आपके ज्ञातार्थ बता देना चाहता हु की आत्महत्या के ऊपर आज तक दी गयी किसी भी सिद्धांत से ज्यादा इमाइल दुर्खिम के सिद्धांत को ही सबसे अधिक शक्तिशाली और यथार्थ माना जाता है।
