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Saturday, 9 March 2019

पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण

पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण


जब पश्चिमी देशो की रीती -निति, आचार-व्यबहार या सांस्कृतिक प्रमूल्यो को अनुकरण करके कोई समाज या कोई देश अपने अपने माध्यम से उसको प्रकाशित करने की कोसिस करता है या प्रकाशित करता है, तब उसी को पश्चिमीकरण कहाँ जाता है। 

आज दुनिआ का लगभग हर दूसरा देश पश्चिमीकरण की ओर अपना कदम बड़ा रहा है। 

दोस्तों लकिन इन देश या समाजो की इस अनुकरण की इस गति में पाश्चात्य संस्कृति का यौक्तिक अनुकरण से ज्यादा अंधानुकरण ही ज्यादा दिखाई दे रहा है।

इस लेख में हम जानेंगे की पश्चिमी संस्कृति की अनुकरण से किसी देश या समाज के कौन कौन से क्षेत्र में अच्छा प्रभाव और कौन कौन से क्षेत्र में बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

तो चलिए बिना देर किए इसको आरम्भ करते है।

पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण

पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण - अच्छा प्रभाव

1. यौक्तिक विचारधारा का विस्तार : - सबसे पहले तो पश्चिमी संस्कृति की अनुकरण का अच्छा प्रभाव हमें देखने मिलता है यौक्तिक विचारधारा की विस्तार के माध्यम से।

अमेरिका, ब्रिटैन, फ्रेंच, जर्मनी जैसे देशो में अंधविस्वास, तंत्र-मंत्र तथा परंपरागत अयौक्तिक सोचो का प्राधान्य बहुत ही कम है। 

यहाँ का समाज व्यबस्था बहुत तेजी से परिवर्तित होता है , जिसके कारण परंपरा का बंधन यहाँ ज्यादा समय तक शक्तिशाली नहीं रह पाता।

पश्चिमी संस्कृति की इस यौक्तिक विचारधाराओ की अनुकरण के कारण आज हामारे भारत जैसे देशो में भी अंधविस्वास, तंत्र-मंत्र तथा परंपरागत अयौक्तिक सोचो का प्राधान्य धीरे धीरे कम हो रही है।

तो इसको हम पश्चिमी संस्कृति की अनुकरण का एक अच्छा प्रभाव ही बोल सकते है।

Friday, 8 March 2019

पश्चिमीकरण क्या है ?

पश्चिमीकरण क्या है ?


"पश्चिमीकरण क्या है ?", दोस्तों इस प्रश्न का अगर हम सरल भाषा में सीधा सीधा उत्तर दे तो बोल सकते है की पश्चिमीकरण वो एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से दुनिआ के पश्चिमी हिस्से के देशो की रीती-निति, अचार-व्यबहार, खान-पान या अन्य सांस्कृतिक प्रमूल्यो को दुनिआ के बाकि हिस्से के देशो दुवारा अनुकरण किआ जाता है।

दराचल पश्चिमीकरण एक सांस्कृतिक संकल्पना है, जिसको हम पश्चिमी संस्कृति का विस्तार माध्यम बोले तो भी ज्यादा गलत नहीं होगा।

क्योकि आज पूरी दुनिआ जिस तरह अमेरिका, ब्रिटैन, फ्रेंच, जर्मनी, इटली जैसे धनी पश्चिमी देशो की संस्कृति को अनुकरण कर रहा है, उसको देखकर तो ऐसा ही लगता है की आगे चलके इन देशो की संस्कृति पुरे दुनिआ को ही अपने कब्जे में ले लेगी।        
पश्चिमीकरण क्या है ?

क्या पश्चिमीकरण और आधुनिकीकरण एक ही संकल्पना है ?


दोस्तों इस प्रश्न का उत्तर ढूंढ़ने के आरम्भ में ही हमें ये समझ लेना होगा की ये दो संकल्पना 'पश्चिमीकरण' और 'आधुनिकीकरण' आखिर समझाना क्या चाहता है ?

पश्चिमीकरण: - पश्चिमीकरण दो भिन्न शब्दों के मेल से बना हुआ है। यहाँ एक है 'पश्चिम' और दूसरा है 'करण'. 

यहाँ जो  'पश्चिम' शब्द है वो दुनिआ के पश्चिमी देशो को निर्देशित करता है (जैसे की अमेरिका, ब्रिटैन, फ्रेंच, इटली, जर्मनी इत्यादि) और जो 'करण' है वो इन देशो की संस्कृति का बाकि देशो में विस्तार को निर्देशित करता है।

आधुनिकीकरण: - जिस तरह 'पश्चिमीकरण' दो भिन्न शब्द के मेल से बना हुआ है उसी तरह 'आधुनिकीकरण' भी दो भिन्न शब्दों के मेल से ही बना हुआ है। 'आधुनिकीकरण' का प्रथम शब्द है 'आधुनिक' और दूसरा है 'करण'.

Wednesday, 30 January 2019

द्वंदतात्मक भौतिकताबाद की विशेषता

द्वंदतात्मक भौतिकताबाद की विशेषता (dvandaatmak bhautikavaad kee visheshata)

कार्ल मार्क्स दुवारा दिए गए द्वंदतात्मक भौतिकताबाद सिद्धांत के कोई सारे विशेषता है। उन विशेषताओ में से ये कुछ मुख्य रहे : -

1. सबसे पहले इस सिद्धांत के अनुसार भौतिक जगत ही पुरे समाज व्यबस्था के परिचालन का मुख्य केंद्र स्वोरुप है। भौतिक अवस्था को केंद्र करके ही प्रथम एक सामाजिक अवस्था प्रचलित रहता है और जब वो अवस्था एक समय पर समाज के सामान्य लोगो की वस्तुगत जरूरतो को पूरा करने में अशक्षम हो जाता है तब उसके विरुद्ध एक नया मानसिक अवस्था लोगो के मनमे विकाशित होता है।

इसी वस्तुकेन्द्रिक मानसिक अवस्था के कारण एक समय ऐसा आता जब समाज में पुराने अवस्था का पतन हो जाता है तथा समाज में नए अवस्था का जनम होता है।
dvandaatmak bhautikavaad kee visheshata

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Sunday, 6 January 2019

संयुक्त राष्ट्रसंघ

संयुक्त राष्ट्रसंघ


संयुक्त राष्ट्रसंघ एक अंतरास्ट्रीय शांति संगठन है, जिसको  द्वितीय महायुद्ध के बाद बिस्व शांति और अंतरास्ट्रीय सुरक्षा के लिए सं 1945 के 24 अक्टूबर को गठन किआ गया था।

उस समय द्वितीय महायुद्ध की भयानक फलाफल ने दुनिआ के महान महान नेता तथा देशो को ये सोचने पर मजबूर कर दिआ था की कैसे दुनिआ को भबिस्व में ऐसे भयानक यूद्ध की बिध्वंश से रक्षा किआ जाये।

दुनिआ के उन प्रधान शक्तिशाली राष्ट्रो के नेतृत्व की वही सोच और आलोचना का परिणाम है आज का ये संयुक्त राष्ट्रसंघ।  

दोस्तों ये लेख बहुत ही ज्यादा मजेदार होने वाला है, क्योकि इस लेख में हम संयुक्त राष्ट्रसंघ के अति महत्वपूर्ण दिशाओ को जानेंगे जो की इसके अध्ययन की लिहाज़ से बहुत ही जरूरी है। तो चलिए हमारे इस लेख की सुषि में क्या क्या है सबसे पहले उसी को देख लेते है: -  

1. संकल्पना की उत्पत्ति।
2. उद्देश्य और लक्ष्य।
3. संयुक्त राष्ट्रसंघ को केंद्र करके 1941 से 1945 तक हुए पांच महत्वपूर्ण सम्मिलन।

संयुक्त राष्ट्रसंघ

संकल्पना की उत्पत्ति (Sankalpana Ki Utpatti)

आपको सायद मालूम होगा की सं 1914 से 1918 तक प्रथम महायुद्ध संघटित हुआ था इस यूद्ध में लाखो लोगो की मृत्यु हो गयी, लाखो अपाहिज भी हुए और करोड़ो संपत्ति की हानि भी हुई।

इस बिध्वंश के बाद दुनिआ के प्रधान शक्तिशाली राष्ट्र जैसे की अमेरिका, फ्रेंच, ब्रिटैन इत्यादि के नेतृत्व में फ्रेंच के राजधानी पेरिस में शांति सम्मिलन अनुस्थित हुआ और इसी शांति सम्मिलन के दुवारा बाद में सं 1920 को जन्म हुआ 'League of Nations' यानि 'जातीसंघ' का।

आप सायद सोच रहे होंगे की हम 'जातीसंघ' की बात क्यों कर रहे है? दोस्तों इसके पीछे मुख्य कारण यही है की संयुक्त राष्ट्रसंघ के संकल्पना की जो उत्पत्ति है वो इसी से हुई थी।     

अब आते है हमारे मूल विषय पर। सं 1920 में गठित हुआ  'League of Nations' अंतरास्ट्रीय शांति को लगातार कायम करने में अशक्षम रहे जिसके कारण सं 1935 को पुनः एक महायुद्ध का आरम्भ हुआ। ये पहले महायूद्ध से भी ज्यादा बिध्वंसी और खतरनाक था। बिस्व राजनीति की इतिहास में इस भयानक यूद्ध को ही द्वितीय महायूद्ध कहाँ जाता है। ये सं 1935 से 1945 तक दस साल लगातार चला।

इस यूद्ध में होने वाले हानि और बिध्वंश को देखकर बिस्व के शांतिकामी राष्ट्र वर्ग फिर से बड़े ही चिंता में गए, की कैसे भाबिस्व में मानब जाती को बचाया जाये। दोस्तों क्या आप जानते है की इस सोच को कौन कौन से शक्तिशाली देशो के नेता नेतृत्व दे रहे थे ?

हाँ बिलकुल सत्य।    

इसमें सबसे प्रथम थे अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रेंकलिन.डी.रुज़वेल्ट, ब्रिटैन के प्रधानमंत्री Winston Churchill, और रूस के राष्ट्रपति Joseph Stalin . हालाकि अन्य नेताये भी बाद में जुड़े लकिन इन तीनो ने मुख्य भूमिका का पालन किआ।

इन नेताओ के बिच 1941 से 1945 तक एक नया अंतरास्ट्रीय शांति संगठन गठित करने के लिए पांच बिभिन्न जगह पर शांति सम्मिलन अनुस्थित हुआ। ये पांच भिन्न सम्मेलन कुछ इस प्रकार के थे :- अटलांटिक चार्टर, मास्को घोषणा, डम्बर्टन का उकस सम्मेलन, याल्टा सम्मेलन और सान-फ्रांससिस्को  सम्मेलन। इन पांच बड़े बड़े आलोचनाओ के बाद सं 1945 को जाके संयुक्त राष्ट्रसंघ का गठन हुआ।  
संयुक्त राष्ट्रसंघ की उद्देश्य और लक्ष्य


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संयुक्त राष्ट्रसंघ की उद्देश्य और लक्ष्य

1. जिस उद्देश्य को केंद्र करके संयुक्त राष्ट्रसंघ का गठन किआ गया था वो उद्देश्य ही है अंतरास्ट्रीय शांति और सुरक्षा को कायम रखना। अगर कोई देश किसी और देश को आक्रमण करने हेतु कोई भय दिखता है तो उसमे राष्ट्रसंघ के सुरक्षा परिषद् बाधा प्रदान कर सकता है। अंतरास्ट्रीय बिबाद और संघातों को शांतिपूर्ण रूप से समाधान करने में ये बिस्वासी है।

2. राष्ट्रसंघ हमेशा ही दुनिआ के राष्ट्र समूहों के बिच एकता, समता और मित्रतापूर्ण संपर्क को बृद्धि करने की कोसिस करेगा। क्योकि एकता, समता और मित्रतापूर्ण संपर्क के माध्यम से ही भाबिस्व में दुनिआ को यूद्ध से बचाया जा सकता है।  

3. संयुक्त राष्ट्रसंघ कभी भी किसी देश की भीतरी विषय के ऊपर हस्तक्षेप नहीं करेगा। लकिन अगर किसी आक्रमण और सुरक्षा का प्रश्न इसमें जुड़ जायेगा तो हस्तक्षेप करने का अधिकार रहेगा।  

4. अंतरास्ट्रीय सहयोगिता के ऊपर निर्भर करके दुनिआ के सभी देश बिस्व के सामाजिकसांस्कृतिक और मानबीय समस्याओ को समाधान करने की कोसिस करेगा, बिस्व के सभी जातीधर्मवर्णभाषासंस्कृति के लोगोको समता के ऊपर मानब अधिकार प्राप्त होगा।