पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
जब पश्चिमी देशो की रीती -निति, आचार-व्यबहार या सांस्कृतिक प्रमूल्यो को अनुकरण करके कोई समाज या कोई देश अपने अपने माध्यम से उसको प्रकाशित करने की कोसिस करता है या प्रकाशित करता है, तब उसी को पश्चिमीकरण कहाँ जाता है।
आज दुनिआ का लगभग हर दूसरा देश पश्चिमीकरण की ओर अपना कदम बड़ा रहा है।
दोस्तों लकिन इन देश या समाजो की इस अनुकरण की इस गति में पाश्चात्य संस्कृति का यौक्तिक अनुकरण से ज्यादा अंधानुकरण ही ज्यादा दिखाई दे रहा है।
इस लेख में हम जानेंगे की पश्चिमी संस्कृति की अनुकरण से किसी देश या समाज के कौन कौन से क्षेत्र में अच्छा प्रभाव और कौन कौन से क्षेत्र में बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
तो चलिए बिना देर किए इसको आरम्भ करते है।
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पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण - अच्छा प्रभाव
1. यौक्तिक विचारधारा का विस्तार : - सबसे पहले तो पश्चिमी संस्कृति की अनुकरण का अच्छा प्रभाव हमें देखने मिलता है यौक्तिक विचारधारा की विस्तार के माध्यम से।
अमेरिका, ब्रिटैन, फ्रेंच, जर्मनी जैसे देशो में अंधविस्वास, तंत्र-मंत्र तथा परंपरागत अयौक्तिक सोचो का प्राधान्य बहुत ही कम है।
यहाँ का समाज व्यबस्था बहुत तेजी से परिवर्तित होता है , जिसके कारण परंपरा का बंधन यहाँ ज्यादा समय तक शक्तिशाली नहीं रह पाता।
पश्चिमी संस्कृति की इस यौक्तिक विचारधाराओ की अनुकरण के कारण आज हामारे भारत जैसे देशो में भी अंधविस्वास, तंत्र-मंत्र तथा परंपरागत अयौक्तिक सोचो का प्राधान्य धीरे धीरे कम हो रही है।
तो इसको हम पश्चिमी संस्कृति की अनुकरण का एक अच्छा प्रभाव ही बोल सकते है।