Sunday, 6 January 2019

संयुक्त राष्ट्रसंघ

संयुक्त राष्ट्रसंघ


संयुक्त राष्ट्रसंघ एक अंतरास्ट्रीय शांति संगठन है, जिसको  द्वितीय महायुद्ध के बाद बिस्व शांति और अंतरास्ट्रीय सुरक्षा के लिए सं 1945 के 24 अक्टूबर को गठन किआ गया था।

उस समय द्वितीय महायुद्ध की भयानक फलाफल ने दुनिआ के महान महान नेता तथा देशो को ये सोचने पर मजबूर कर दिआ था की कैसे दुनिआ को भबिस्व में ऐसे भयानक यूद्ध की बिध्वंश से रक्षा किआ जाये।

दुनिआ के उन प्रधान शक्तिशाली राष्ट्रो के नेतृत्व की वही सोच और आलोचना का परिणाम है आज का ये संयुक्त राष्ट्रसंघ।  

दोस्तों ये लेख बहुत ही ज्यादा मजेदार होने वाला है, क्योकि इस लेख में हम संयुक्त राष्ट्रसंघ के अति महत्वपूर्ण दिशाओ को जानेंगे जो की इसके अध्ययन की लिहाज़ से बहुत ही जरूरी है। तो चलिए हमारे इस लेख की सुषि में क्या क्या है सबसे पहले उसी को देख लेते है: -  

1. संकल्पना की उत्पत्ति।
2. उद्देश्य और लक्ष्य।
3. संयुक्त राष्ट्रसंघ को केंद्र करके 1941 से 1945 तक हुए पांच महत्वपूर्ण सम्मिलन।

संयुक्त राष्ट्रसंघ

संकल्पना की उत्पत्ति (Sankalpana Ki Utpatti)

आपको सायद मालूम होगा की सं 1914 से 1918 तक प्रथम महायुद्ध संघटित हुआ था इस यूद्ध में लाखो लोगो की मृत्यु हो गयी, लाखो अपाहिज भी हुए और करोड़ो संपत्ति की हानि भी हुई।

इस बिध्वंश के बाद दुनिआ के प्रधान शक्तिशाली राष्ट्र जैसे की अमेरिका, फ्रेंच, ब्रिटैन इत्यादि के नेतृत्व में फ्रेंच के राजधानी पेरिस में शांति सम्मिलन अनुस्थित हुआ और इसी शांति सम्मिलन के दुवारा बाद में सं 1920 को जन्म हुआ 'League of Nations' यानि 'जातीसंघ' का।

आप सायद सोच रहे होंगे की हम 'जातीसंघ' की बात क्यों कर रहे है? दोस्तों इसके पीछे मुख्य कारण यही है की संयुक्त राष्ट्रसंघ के संकल्पना की जो उत्पत्ति है वो इसी से हुई थी।     

अब आते है हमारे मूल विषय पर। सं 1920 में गठित हुआ  'League of Nations' अंतरास्ट्रीय शांति को लगातार कायम करने में अशक्षम रहे जिसके कारण सं 1935 को पुनः एक महायुद्ध का आरम्भ हुआ। ये पहले महायूद्ध से भी ज्यादा बिध्वंसी और खतरनाक था। बिस्व राजनीति की इतिहास में इस भयानक यूद्ध को ही द्वितीय महायूद्ध कहाँ जाता है। ये सं 1935 से 1945 तक दस साल लगातार चला।

इस यूद्ध में होने वाले हानि और बिध्वंश को देखकर बिस्व के शांतिकामी राष्ट्र वर्ग फिर से बड़े ही चिंता में गए, की कैसे भाबिस्व में मानब जाती को बचाया जाये। दोस्तों क्या आप जानते है की इस सोच को कौन कौन से शक्तिशाली देशो के नेता नेतृत्व दे रहे थे ?

हाँ बिलकुल सत्य।    

इसमें सबसे प्रथम थे अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रेंकलिन.डी.रुज़वेल्ट, ब्रिटैन के प्रधानमंत्री Winston Churchill, और रूस के राष्ट्रपति Joseph Stalin . हालाकि अन्य नेताये भी बाद में जुड़े लकिन इन तीनो ने मुख्य भूमिका का पालन किआ।

इन नेताओ के बिच 1941 से 1945 तक एक नया अंतरास्ट्रीय शांति संगठन गठित करने के लिए पांच बिभिन्न जगह पर शांति सम्मिलन अनुस्थित हुआ। ये पांच भिन्न सम्मेलन कुछ इस प्रकार के थे :- अटलांटिक चार्टर, मास्को घोषणा, डम्बर्टन का उकस सम्मेलन, याल्टा सम्मेलन और सान-फ्रांससिस्को  सम्मेलन। इन पांच बड़े बड़े आलोचनाओ के बाद सं 1945 को जाके संयुक्त राष्ट्रसंघ का गठन हुआ।  
संयुक्त राष्ट्रसंघ की उद्देश्य और लक्ष्य


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संयुक्त राष्ट्रसंघ की उद्देश्य और लक्ष्य

1. जिस उद्देश्य को केंद्र करके संयुक्त राष्ट्रसंघ का गठन किआ गया था वो उद्देश्य ही है अंतरास्ट्रीय शांति और सुरक्षा को कायम रखना। अगर कोई देश किसी और देश को आक्रमण करने हेतु कोई भय दिखता है तो उसमे राष्ट्रसंघ के सुरक्षा परिषद् बाधा प्रदान कर सकता है। अंतरास्ट्रीय बिबाद और संघातों को शांतिपूर्ण रूप से समाधान करने में ये बिस्वासी है।

2. राष्ट्रसंघ हमेशा ही दुनिआ के राष्ट्र समूहों के बिच एकता, समता और मित्रतापूर्ण संपर्क को बृद्धि करने की कोसिस करेगा। क्योकि एकता, समता और मित्रतापूर्ण संपर्क के माध्यम से ही भाबिस्व में दुनिआ को यूद्ध से बचाया जा सकता है।  

3. संयुक्त राष्ट्रसंघ कभी भी किसी देश की भीतरी विषय के ऊपर हस्तक्षेप नहीं करेगा। लकिन अगर किसी आक्रमण और सुरक्षा का प्रश्न इसमें जुड़ जायेगा तो हस्तक्षेप करने का अधिकार रहेगा।  

4. अंतरास्ट्रीय सहयोगिता के ऊपर निर्भर करके दुनिआ के सभी देश बिस्व के सामाजिकसांस्कृतिक और मानबीय समस्याओ को समाधान करने की कोसिस करेगा, बिस्व के सभी जातीधर्मवर्णभाषासंस्कृति के लोगोको समता के ऊपर मानब अधिकार प्राप्त होगा।     

संयुक्त राष्ट्रसंघ को केंद्र करके 1941 से 1945 तक हुए पांच महत्वपूर्ण सम्मिलन

1. अटलांटिक चार्टर: - राष्ट्रसंघ की गठन के लिए सबसे पहला कदम रखा गया था सं 1941 को अटलांटिक चार्टर के जरिए। दोस्तों क्या आपको मालूम है की ये दराचल है क्या? दराचल सं 1941 में अमेरिका के राष्ट्रपति Franklin.D.Roosevelt और ब्रिटैन के प्रधानमंत्री Winston Churchill ने अटलांटिक महासागर में एक जहाज़ पर बैठक करके एक विशेष समझौते के ऊपर हस्ताक्षर किए थे।

वो समझौता था एक अंतरास्ट्रीय शांति संगठन गठित करने का समझौता अटलांटिक महासागर के बिच किआ गया इस समझौते को इसीलिए अटलांटिक चार्टर कहा जाता है।

सबसे पहले इन दो महान नेताओ के दुवारा किआ गया ये हस्ताक्षर मुख्यत 8 मूल नीतिओ ऊपर प्रतिष्ठित थी। इन नीतिओ को मास्को घोषणा में कुल 26 राष्ट्रो दुवारा मंजूरी दी गयी। 


2. मास्को घोषणा: - मास्को घोषणा अनुस्थित हुआ था 1943 में। इस घोषणा में उस समय के चार सबसे शक्तिशाली राष्ट्रो के नेताओ ने नेतृत्वा लिआ था। उन नेताओ के नाम थे अमेरिका के राष्ट्रपति Franklin.D.Roosevelt, ब्रिटैन के प्रधानमंत्री Winston Churchill, रूस के राष्ट्रपति Joseph Stalin और चीन के उच्च नेतृत्व।

मास्को घोषणा का मुख्य महत्व एहि है की इस घोषणा में अटलांटिक चार्टर के नीतिओ को कार्यकारी करने के लिए उन नेताओ के दुवारा एक विशेष अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए।


3. डुम्बरटन का उकस सम्मेलन: - अटलांटिक चार्टर और मास्को घोषणा को कार्यकारी करने के लिए 1944 के अगस्त महीने में बिस्व नेतृत्व पुनः एक जुट हुए डुम्बरटन की उकस सम्मेलन में। एहि पर संयुक्त राष्ट्रसंघ नाम की बिस्व शांति संगठन गठित करने के लिए सिद्धांत लिआ गया।

एहि वो सम्मेलन है जहाँ राष्ट्रसंघ का उद्देश्य, कार्य, क्षमता और इसके बिभिन्न प्रकार के अंश जैसे की सुरक्षा परिषद, साधारण सभा, अंतरास्ट्रीय न्यायतंत्र इत्यादि के ऊपर आलोचना करके निर्णय लिआ गया। ये मुलाकात इस संगठन की बिकाश तथा संरचना का निर्णयकारी मुलाकात साबित हुआ।


4. याल्टा सम्मेलन: - आपने कभी अगर राष्ट्रसंघ के सुरक्षा परिषद के बारे में पढ़ा है तो आपको पता होगा की सुरक्षा परिषद के जो पांच मूल स्थायी राष्ट्र है; यानि अमेरिका, ब्रिटैन, फ्रेंच, चीन और रूस; इन सभी को वोट देने का विशेष अधिकार होता है, जो राष्ट्रसंघ के बाकि सदस्य राष्ट्रो को नहीं होता।

दोस्तों ये जो निर्णय है इसको सबसे पहली बार लिआ गया था इस याल्टा सम्मेलन में ही। याल्टा सम्मेलन अनुस्थित हुआ था 1945 के फेब्रुअरी महीने को [याल्टा रूस के क्रिमीआ में पडता है]


5. सान-फ्रांससिस्को सम्मेलन: - 25 अप्रैल 1945 से 26 जून 1945 तक अमेरिका के सान-फ्रांससिस्को शहर में सान-फ्रांससिस्को सम्मेलन अनुस्थित हुआ था। दोस्तों आपके ज्ञातार्थ बता देना चाहता हु की इस सम्मेलन में दुनिआ की 50 रास्त्रो ने भाग लिआ था। इन सभी 50 रास्त्रो ने जब संयुक्त राष्ट्र के मूल नीतिओ को अनुष्ठानिक रूप से समर्थन देके इसके अनुबंध पर हस्ताक्षर किआ तबसे ये अंतरास्ट्रीय शांति संगठन अनुष्ठानिक रूप से गठित हो गया।

1945 के 24 अक्टूबर तारीख से संयुक्त राष्ट्रसंघ का काम अनुष्ठानिक रूप से आरम्भ हो गया। इसीलिए हर साल के 24 अक्टूबर तारीख को पूरी दुनिआ में राष्ट्रसंघ दिवस के रूप में पालन किआ जाता है।