Thursday, 31 January 2019

मैक्स वेबर की सामाजिक क्रिया सिद्धांत

मैक्स वेबर की सामाजिक क्रिया सिद्धांत (Max Weber Social Action Theory in Hindi)


समाजशास्त्र के विकाश के लिए जर्मन दार्शनिक मैक्स वेबर ने बहुत सारे सामाजिक घटनाओ के ऊपर अध्ययन किआ था। उनके इन अध्ययनो का एक अन्यतम विषय है उनके दुवारा किआ गया सामाजिक क्रिया के ऊपर अध्ययन। 

[क्या आप जानते है की मैक्स वेबर वो एक समाजशास्त्रविद थे जिन्होंने समाजशास्त्र को विज्ञान के रूप में प्रतिष्ठा करने हेतु काफी मेहनत किआ था, उनके इन्ही मेहनतो का फल है उनके आदर्शरूप, सामाजिक क्रिया, नौकरशाही सिद्धांत]

आप सायद इस सिद्धांत को जानने हेतु काफी इच्छुक होंगे। दोस्तों इस लेख में मैक्स वेबर की सामाजिक क्रिया सिद्धांत को ही हम आलोचना करेंगे। आशा करता हु की आप जिस उद्देश्य से यहाँ आये हो उसको सफल बनाने में हम सफल होंगे

मैक्स वेबर की सामाजिक क्रिया सिद्धांत क्या है? (What is Max Weber Social Action Theory in Hindi)

मैक्स वेबर के अनुसार जब कोई व्यक्ति किसी विशेष उद्देश्य को केंद्र करके किसी अन्य व्यक्ति के साथ अपने सचेतन मनसे आंत-क्रिया संपन्न करता है तब उसी आंत-क्रिया को सामाजिक क्रिया बोला जाता है।

सामाजिक क्रिया में व्यक्ति का मन हमेशा ही सचेतन अवस्था में रहता है; लकिन अगर वही व्यक्ति सचेतन अवस्था में ना रहकर मदयपान करके तथा अपने मानसिक स्थिति के ऊपर नियंत्रण खोके किसी अन्य व्यक्ति के साथ उद्देश्यहीन आंत-संपर्क स्थापन करता है तब उसको हम सामाजिक क्रिया नहीं बोल सकते।

सामाजिक क्रिया के लिए व्यक्ति का मन या मानसिक अवस्था सचेतन और स्थिर रहना हमेशा ही जरूरी है और साथ में एक उद्देश्य केंद्रिकता भी जरूरी है। दोस्तो एहि पर आपको बता देना चाहता हु की इस प्रक्रिया में क्रिया को संपन्नकर्ता व्यक्ति पहले से ही अपने उद्देश्य को लेकर अवगत रहता है।

दोस्तों आपको इसका कुछ मुख्य चरित्र बता देता हु, इससे आपको इस सिद्धांत को जानने के हेतु काफी आसानी होगी। 

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सामाजिक क्रिया सिद्धांत के मुख्य चरित्र (Max Weber Social Action Theory Features in Hindi)

1. उद्देश्यपूर्णता: - सामाजिक क्रिया हमेशा ही किसी विशेष उद्देश्य के साथ सम्पर्कयूक्त होता है। उद्देश्यविहीन रूप से हुआ किसी भी कार्य को सामाजिक क्रिया नहीं बोला जा सकता। जैसे की किसी दो मद्यपायी व्यक्ति के बिच होने वाले आंत-क्रिया सामाजिक क्रिया का भाग नहीं है।

2. सचेतन मानसिक अवस्था: - जिन जिन व्यक्तिओ के बिच सामाजिक क्रिया संपन्न होता है वे व्यक्ति उस समय सचेतन मानसिक अवस्था में रहते है तथा पहले से ही उस क्रिया के उद्देश्य के बारे में ज्ञात होते है।

वेबर के अनुसार अकस्मात् रूप संपन्न हुआ किसी क्रिया को भी हम सामाजिक क्रिया का दर्जा नहीं दे सकते ;क्योकि यहाँ लोग पहले से ही उद्देश्य के बारे ज्ञात नहीं होते है। उदाहरण के रूप में: - किसी सड़क दुर्घटना के समय एकत्र हुए लोगो के भीड़।

3. मानव समाज के साथ जुड़ा हुआ: - सामाजिक क्रिया हमेशा ही मानव समाज के साथ जुड़ा हुआ होता है और समाज में रहकर ही ये संभव हो सकता है। 

उदाहरन के रूप में किसी जंगल जाकर अगर कोई व्यक्ति भाषण देता है या फिर तपस्या करता है तो वो कोई सामाजिक क्रिया नहीं कहलायेगा। 

लकिन वही भाषण अगर वे किसी सभा में देंगे तो वो मैक्स वेबर के अनुसार सामाजिक क्रिया के अंतर्गत हो जायेंगे 

आशा करता हु की इस छोटे से लेख में आपको कुछ जानकारिया प्राप्त हुई होंगी। आप इस सिद्धांत के बारे में क्या सोचते है हमें ईमेल करके ज्ञात कर सकते है।