सामाजिक समस्या (Samajik Samasya)
सामाजिक समस्या क्या है? इस प्रश्न का उत्तर बहुत सारे समाज दार्शनिको ने बिविन्न समय पर देने की कोसिस की है। क्या आप समझते है की इस प्रश्न का उत्तर क्या हो सकता है। चलिए सबसे पहले हम इस प्रश्न के उत्तर को ही जान लेते है।
कभी कभी मानब समाज में कुछ ऐसे परिस्थिति का जन्म होता है, जो समाज के ज्यादातर लोगो के सुख प्रबृति को आघात करते है। ऐसे परिस्थिति को समाज में लोग कभी भी नहीं चाहते। तथा इसको निर्मूल करने की कोसिस करते है, क्योकि अगर इसको निर्मूल नहीं किआ गया तो आगे चलके वो और भी ज्यादा समस्या का जन्म दे सकता है। मानब समाज के सुख के बिपरीत जन्म लेने वाले ऐसे परिस्थिति को ही समाजशास्त्र की भाषा में सामाजिक समस्या बोलते है।
सामाजिक समस्या का कुछ अति महत्वपूर्ण चरित्र है, इनके माध्यम से आपको इस धारणा को जानने में काफी आसानी होगी तो चलिए इसके कुछ अति महत्वपूर्ण चरित्र को जान लेते है।
सामाजिक समस्या का मूल चरित्र (Samajik Samasya Ka Charitra)
1. मानब समाज से सम्बन्धयुक्त: - दुनिआ में जितने भी सामाजिक समस्याए होती है, वो हर एक छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा मानब समाज के साथ ही जुड़ा हुआ होता है। मानब समाज के बिना कोई भी सामाजिक समस्या का जन्म नहीं हो सकता।
2. सर्बजनिन परिघटना: - सामाजिक समस्या दुनिआ के हर एक मानब समाज में होता है। अगर ढूंढोगे तो आपको इस दुनिआ में कोई भी ऐसी जगह नहीं मिलेगी जहाँ समस्या नहीं है।
3. इंसान की सुख के बिपरीत: - ये हमेशा ही व्यक्ति के सुख को आघात करता है, इसीलिए कोई भी व्यक्ति इसको नहीं चाहता तथा समाज से मिटाने की लगातार कोसिस करता है।
4. एक दूसरे से सम्बन्धयुक्त: - सामाजिक समस्या हमेशा ही एक दूसरे का साथ सम्बन्ध युक्त होता है। यहां एक की जन्म के लिए दूसरा जिम्मेदार होता है। उदाहरण: -
गरीबी एक एक सामाजिक समस्या है, लकिन गरीबी अन्य समस्याओ का जनम देने के लिए भी जिम्मेदार है। जैसे की- चोरी, डकइती इत्यादि।
5. समय के साथ परिवर्तन: - सामाजिक समस्या सदा समय के साथ अपना गति परिवर्तन करता है। समय के साथ साथ इसका स्वरूप भी परिवर्तित होता है। एक समय का एक बड़ा समस्या अन्य एक समय पे समस्या नहीं भी हो सकता है।