कार्ल मार्क्स - सामान्य परिचय
19 वी शताब्दी के बड़े दार्शनिक नामो में से एक अन्यतम है कार्ल मार्क्स। कार्ल मार्क्स के ज्यादातर दर्शन वस्तुजगत को केंद्र करके ही विकशित हुआ था।
लकिन दोस्तों उनके ज्यादातर सोचो में आपको मानव कल्याण का प्रतिविम्ब भी देखने मिलेगा। मार्क्स के दर्शन की इन्ही विशेषताओ के कारण आज भी समाजशास्त्रविदो की सुषि में उनको सबसे ऊपर के स्थान पर रखा जाता है।
दोस्तों 19
वी शताब्दी से आज तक दुनिआ में अपने दार्शनिक सोचो के कारण जाने जाने वाले कार्ल मार्क्स के परिचय के बारे में क्या आप जानना नहीं चाहोगे? इस छोटे से लेख हम उन्हीके जीबन परिचय को जानने की कोसिस करेंगे।
आशा रखते है इस दार्शनिक के ऊपर ये छोटा सा लेख आपको इनके बारे और भी जानने हेतु उछाहित करेगा। तो चलिए आरम्भ करते है।
कार्ल मार्क्स - एक महान दार्शनिक का जनम और शिक्षा
एक यहूदी परिवार से सम्पर्कित मार्क्स का जनम हुआ था
1818 के 5 मई को जर्मनी एक छोटे से शहर टियर में। उनके पिता का नाम था हेनरिच मार्क्स और माता का नाम हेनरीति प्रेसबेर्ग था।
सुरु से ही परिवार के आर्थिक अवस्था ज्यादा अच्छा ना होने के कारण बचपन में पास के ही एक छोटे से स्कूल में उन्होंने एडमिशन लिआ। स्कूली शिक्षा ख़तम होने के बाद उन्होंने कॉलेज की शिक्षा के लिए 'बॉन' और 'बर्लिन' विश्वबिद्यालय में एडमिशन लिआ।
विश्वबिद्यालय का जीबन मार्क्स के लिए अनोखा रहा। एहि पर (बर्लिन विश्वबिद्यालय) उनका मुलाकात महान जर्मन दार्शनिक हेगल के साथ हुआ , जो की खुद भी एक जाने माने दार्शनिक थे। खेर जो भी इन दोनों पंडितो का सम्बन्ध काफी अच्छा रहा और एक दीर्घ समय तक चला।
फिर
1941 में जर्मनी के तुरंगिआ में स्थित जेना यूनिवर्सिटी से उन्होंने अपना डॉक्टरेट डिग्री पूरा किआ।
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कार्ल मार्क्स - वैवाहिक जीबन
कार्ल मार्क्स ने उनके बचपन के ही दोस्त जेनी वॉन वेस्टफेलेन से शादी की थी सं
1843 में। उनके विवाह के पश्चात उनके कुल 6 संतानो ने जनम ली।
कितना सत्य है ये हम नहीं जानते लकिन उनके ही जीबन के ऊपर लिखे गए एक रचना में कहा गया है की मार्क्स के घर में एक महिला काम करती थी। उस महिला की नाम थी 'लेन्शेन'. कहा गया है की मार्क्स और लेन्शेन के बिच अवैध शारीरिक सम्बन्ध था।
जिसके फलस्वोरुप लेन्शेन बाद में गर्भवती हो गयी और उसने एक पुत्र संतान का भी जनम दिआ। उस संतान का जनम हुआ था सं
1851 के 23
जून में, और उसका नाम रखा गया था 'फ्रेडरिक देमुख'. लकिन ये मार्क्स के जीबन की ही एक गलती थी की उन्होंने उस संतान को अपना नाम कभी नहीं दिआ।
कार्ल मार्क्स - कर्म जीबन
इस महान दार्शनिक के कर्म जीबन की प्रशंशा हम जितना करे उतना ही कम है। उन्होंने अपने बौद्धिक परिचय को समाज के सामने रखा उनके बिख्यात ग्रन्थ
The German Ideology, Economic and Philosophic Manuscripts, और
The Communist Manifesto के माध्यम से। ये सारे ग्रन्थ क्रन्तिकारी साबित हुआ।
सं
1848 में
The Communist Manifesto और सं 1867 में The Capital के प्रकाश के बाद दुनिआ में धीरे धीरे कम्युनिस्ट भावधारा का भी विकाश होने लगा।
उनके अन्य बिख्यात ग्रन्थ :
-
1. कैपिटल
(1867)
2. कैपिटल
Vol- 2 (1867)
3. वैल्यू, प्राइस एंड प्रॉफिट
(1865)
उनके बिख्यात सिद्धांत :
-
3. श्रेणी संग्राम
5. मानव समाज विकाश के छे स्तर
कार्ल कार्स के इन सिद्धांतो को हमने हमारे अन्य लेखो में आलोचना किआ है आगे आप चाहो तो इन सिद्धांतो को पढ़ सकते हो।