Sunday, 3 February 2019

राल्फ डरहेंदोर्फ़ का सिद्धांत (श्रेणी संग्राम का सिद्धांत)

राल्फ डरहेंदोर्फ़ का सिद्धांत (श्रेणी संग्राम का सिद्धांत)


विशिष्ट समाज दार्शनिक राल्फ डरहेंदोर्फ़ ने दार्शनिक कार्ल मार्क्स के श्रेणी संग्राम सिद्धांत को समालोचना करते हुए ही उनके इस श्रेणी संग्राम सिद्धांत को आगे रखा है। डरहेंदोर्फ़ की व्याख्या सम्पूर्ण रूप से कर्तित्व या अधिकार के ऊपर आधारित है। वो क्या कहते है आइए जानने की कोसिस करते है।

उनके अनुसार श्रेणी संग्राम का मुख्य कारण है समाज के व्यक्तिओ का उच्च और निम्न अधिकार। कार्ल मार्क्स ने श्रेणी संग्राम की आलोचना में भौतिकता के ऊपर ज्यादा ध्यान दिआ था लकिन ये कहते है की श्रेणी संग्राम का मुख्य कारण है कर्तित्व या अधिकार।
राल्फ डरहेंदोर्फ़ का सिद्धांत (श्रेणी संग्राम का सिद्धांत)

समाज में कर्तित्व को केंद्र करके दो श्रेणी के लोग रहते है। इनमे से एक है कर्तित्व संपन्न श्रेणी या उच्च श्रेणी और दूसरा है कर्तित्वहीन या निम्न श्रेणी।

यहाँ जो उच्च श्रेणी के लोग होते वो समाज के शासक, पूंजीपति या क्षमताशाली लोग होते है। और जो निम्न श्रेणी के लोग होते है वो होते है सामान्य कर्मी तथा गरीब लोग। लकिन दोस्तों एहि पर एक ध्यान देने वाली बात यह है की ये दोनों अलग अलग श्रेणियाँ अपने प्रगति के लिए सदा सतर्क रहते है।

इसके करणवर्ष जो उच्च क्षमताशाली लोग होते है वो और भी ज्यादा क्षमता प्राप्त करने के लिए कोसिस करता है और जो निम्न या क्षमताहीन लोग होते है वो भी आगे बढ़ने के लिए कोसिस करता रहता है। लकिन कभी कभी ऐसा परिस्थिति का उद्भव होता है जब ये दोनों श्रेणियाँ अपने अपने स्वार्थ पूरा करने के लिए एक दूसरे के विरुद्ध आमने सामने जाते है।

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ये इसीलिए संघटित होता है, क्योकि अगर एक श्रेणी का इच्छा पूरा हुआ तो दूसरे श्रेणी की स्वार्थ को आघात लगेगा। इसके करणवर्ष इन दोनों बिपरीत श्रेणिओ के बिच एक समय में संघर्ष आरम्भ होता है और ये संघर्ष तब तक चलता रहता है जब तक कोई मध्यस्तताकारी आके इसको सुलझा ना दे।

एक समय में मध्यस्तताकारी आता है और वे उस संघर्ष को शांतिपूर्ण रूप से सुलझा देता है। डरहेंदोर्फ़ कहते है की इसी संघर्ष को सुलझाने के दुवारा मानव समाज में परिवर्तन आता है।

दोस्तों कार्ल मार्क्स कहते थे की वस्तुजगत को केंद्र करके हुए संग्राम के कारण ही मानव समाज में परिवर्तन आता है और वही दूसरी ओर राल्फ डरहेंदोर्फ़ कहते थे की कर्तित्व को केंद्र करके हुए उच्च और निम्न श्रेणी के बिच के संग्राम के कारण ही मानव समाज में परिवर्तन आता है। इन दोनों दार्शनिको के व्याख्या का अंतर एहि पर अच्छे से नजर आता है।