Sunday, 3 February 2019

उद्यौगिक विवाद

उद्यौगिक विवाद 

उद्यौगिक समाजशास्त्र के अध्ययन की मुख्य विषयवस्तुओ में से एक अन्यतम है उद्यौगिक विवाद। एक उद्यौग तथा उसके आस-पास के समाज में बिभिन्न प्रकार के लोग रहते है और उन सारे लोगो का अपना अपना स्वार्थ होता है। 

लकिन कभी कभी किसी विशेष करणवर्ष जब उनके उस स्वार्थ को पूरा करने के रस्ते में कुछ बाधा आता है तथा कोई व्यक्ति या संगठन उस बाधा का नेतृत्व प्रदान करते है तभी ऐसे विवादों जनम होता है। उद्यौगिक समाज के विशेषताओ से सम्बंधित तथा उसी समाज में ऐसे विवादों का विकाश होने के कारण इसको उद्यौगिक विवाद कहा जाता है। 

उदाहरण के रूप में: - किसी व्यक्तिगत कर्म प्रतिष्ठान में बिना कारणवर्ष श्रमिकों को उनके कार्य से निकाल देने के कारण मालिक पक्ष और श्रमिक पक्षो के बिच ऐसे विवादों का जनम हो सकता है।
UDYOUGIK VIVAD AUR USKE KARAN, उद्यौगिक विवाद
उद्यौगिक समाज में बिभिन्न समय पर विवादों का जनम होता रहता है। तो चलिए इन विवादों के कुछ सबसे ज्यादा उल्लेखनीय कारणो को जानने की कोसिस करते है।


उद्यौगिक विवाद के कारण

1. निम्न मान का मजदूरी: - उद्यौगिक समाज में पूँजीपतिओ का प्राधान्य सबसे ज्यादा होता है। पूंजीपति हमेशा ही चाहता है की कैसे श्रमिकों को कम मूल्य में काम करवाके अधिक मुनाफा कमाया जाये। इसीलिए वे श्रमिकों को कम से कम मजदूरी प्रदान करते है।

और इसीलिए दूसरी ओर श्रमिकों के जीवन-यापन का मान भी इससे दिन दिन निम्न होता जाता है। लकिन दोस्तों ये तो इंसान का चरित्र ही होता है की वो हमेशा ही अच्छे से रहना चाहता है। 

इसके कारण श्रमिक और मालिक पक्ष के बिच मतभेद दिन दिन साफ हो जाता है और आखिर में एक समय ऐसा आता है की श्रमिक मालिक पक्ष के विरोद्ध विवादों में जुड़ जाता है। आधुनिक उद्यौगिक समाज में विवाद होने के बिभिन्न कारणो में से ये पहला कारण है।

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2. मालिक पक्ष का बुरा व्यबहार: - श्रमिक अगर काम ही नहीं करेंगे तो मालिक कैसे अकेले उद्पादन कर पायेगा ? बिलकुल नहीं कर पायेगा। लकिन इस बात को ज्यादातर लोग नहीं समझते। इसीलिए अपने से निम्न वर्ग कर्मचारीओ को वो बुरा व्यबहार करते है। 

कभी कभी तो कुछ उच्च वर्ग कर्मचारी निम्न वर्ग के कर्मिओ के साथ  मार-पिट तक करते है। इन सब घटनाओ के कारण मालिक पक्ष के विरुद्ध बिभिन्न समय पर प्रतिवाद, प्रतिष्ठान बंध करना इत्यादि घटनाये भी घटती है। ये भी उद्यौगिक विवाद का अन्यतम कारण है।   

3. वस्तुओ का मूल्यबृद्धि: - मालिक श्रमिकों को कम मजदूरी देता है लकिन सरकारे हमेशा ही अपने लाभ के लिए चीज़ो का दाम बढ़ाते रहते है। तो आप खुद सोच सकते है की इस बढ़ती हुई महंगाई में श्रमिक कैसे अपने घर चलाएंगे, अपने बाल-बच्चो को स्कूल भेजेंगे।  

दोस्तों इस बढ़ती हुई महंगाई से मुक्ति पाने के लिए श्रमिक हमेशा ही मालिकों को मजदूरी बढ़ाने के लिए जोर देते है तथा ज्यादातर समय में उनके विरुद्ध विवाद में लिपट जाते है।

4. असंतुस्तदयक कर्म अवस्था: - हर श्रमिक एक इंसान है और हर इंसान अच्छे परिवेश में रहना चाहता है। लकिन कभी कभी श्रमिकों के कर्म करने का  अवस्था इतना ज्यादा ख़राब, गन्दा और दुगंधमय होता है, की वो अवस्था ही उनके लिए असहनीय सा हो जाता है।

इसके कारण वे प्रतिष्ठान के मुखियाओं से कर्म परिवेश के संस्कार हेतु निवेदन करता है। लकिन जब कभी वे उनके इस निवेदन को ठुकरा देते है तथा ज्यादा ध्यान नहीं देते तो वे उनके विरुद्ध विवादो में पड़ जाते है। ये भी उद्यौगिक विवाद का एक कारण है।

5. नौकरी से बिना कारण बहिस्कार: - कभी कभी अपने असुविधाऔ के कारण मालिक ज्यादा कर्मिओ को अपने प्रतिष्ठान में नहीं रख पाते। इसके कारण पहले से ही श्रम करते रहे श्रमिको को उनके काम से ही निकाल देना पड़ता है। 

बिना करनवर्ष तथा उनके दोष के बिना ही उनको काम से निकाल देने के कारण वे हताशा, सुरक्षाहीनता को भोगते है। इसीलिए कभी कभी पुनः संस्थापन के लिए वे प्रतिष्ठान के मालिक के विरुद्ध क़ानूनी लड़ाई तक भी लड़ लेते है।