उद्यौगिक समाजशास्त्र
मानव समाज आज जितना ज्यादा आगे बढ़ रहा है उद्योगीकरण की मात्रा भी उतनी ही ज्यादा तेजी से आगे बढ़ रही है। आज के समाज व्यबस्था का मूल चरित्र ही है उद्यौगिकरण, इसीलिए ज्यादातर समाजो को आज उद्यौगिक समाज ही कहा जाता है।
लकिन दोस्तों ऐसे समाजो का भी कुछ महत्वपूर्ण चरित्र होते है तथा उन चरित्रों के साथ साथ इनकी कुछ बिभाजन, कुछ सुबिधा तथा कुछ असुबिधाए या समस्याए होती है।
समाजशास्त्र को तो इन सबके बारे में अध्ययन करना पड़ेगा, इसीलिए इस विषय को अध्ययन करने के लिए एक नए शाखा की सृस्टि की गयी है। उद्यौगिक समाज के सामाजिक सम्बन्धो को अध्ययन करने वाली इस शाखा को ही उद्यौगिक समाजशास्त्र कहाँ जाता है।
उद्यौगिक समाजशास्त्र के कार्य
1. समाज अध्ययन तथा ज्ञान आहरण: -
समाजशास्त्र का ये विशेषता ही होता है की इसके माध्यम से मानव समाज को अध्ययन किआ जाता है। उद्यौगिक समाजशास्त्र का पहला कार्य भी एहि होता है, फर्क सिर्फ इतना है की इसके अध्ययन परिधि उद्यौगिक समाज तक ही सिमित रहते है।
ये भी उद्यौगिक समाज के सन्दर्भ बिभिन्न विषयो के ऊपर अध्ययन करता है तथा सत्य को उद्घाटन करने की कोसिस करता है। इसलिए इसका प्रथम कार्य है उद्यौगिक समाज के सन्दर्भ यथार्थ ज्ञान आहरण करना।
2. सामाजिक समस्या का समाधान: -
1839 में समाजशास्त्र का जन्म ही इसीलिए हुआ था की सामाजिक समस्याओ को वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन कर सके तथा उन समस्याओ का समाधान कर सके।
उद्यौगिक समाजशास्त्र का कार्य भी एहि है। क्योकि ऐसे समाजो अपराध मात्रा जैसे की चोरी, डकइती, हत्या, आत्महत्या इत्यादि बहुत ही ज्यादा होती है। इसीलिए ये अध्ययन करता है की कैसे वैज्ञानिक तरीके का व्यबहार करके उन समस्याओ के ऊपर अध्ययन करे तथा समाज को उनसे मुक्त करे।
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3. श्रमिक कल्याण करना: -
ऐसे समाजो के मुख्य उपादानों में से अन्यतम है श्रमिक। अगर श्रमिक नहीं होंगे तो उद्यौगिक समाज का गठन भी संभव नहीं हो पाएंगा। इसीलिए श्रमिक कल्याण के ऊपर उद्यौगिक समाजशास्त्र काफी अध्ययन करता है। जैसे की वो कैसे परिवेश में काम करते है, उनका वेतन कितना है, उनके साथ कैसा व्यबहार किआ जाता है, उनकी शिक्षा और आर्थिक अवस्था कितना है ? इत्यादि इत्यादि।
4. सामाजिक उन्नति: -
कैसे समाज को और भी आगे ले जाया जाये, कौन कौन से दिशाओ के ऊपर ध्यान देने से समाज और ज्यादा शांतिपूर्ण तथा प्रगतिशील हो जायेगा, इन सभी बातो के ऊपर भी उद्यौगिक समाजशास्त्र अध्ययन करता है। अध्ययन के बाद जो फल प्राप्त होता है उनको प्रयोग करके समाज को और ज्यादा प्रगतिशील बनाने की कोसिस करता है।
5. चरित्र की विकाश में सहायता करना: -
उद्योग यानि व्यापार। और हर एक व्यापार में सफल होने के लिए हर एक व्यक्ति को चरित्रवान होना अत्यंत आवश्यक है। उद्यौगिक समाजशास्त्र उद्योग के साथ सम्बंधित व्यक्तिओ को समझने में सहायता करता है की कैसे अपने व्यापार को अपने चारित्रिक विकाश के माध्यम से और भी ज्यादा विकशित किआ जाये। जिससे खुद के साथ साथ समाज की भी प्रगति हो। उदाहरण के रूप में: -
एक बुरे वर्ताब करने वाले मालिक के साथ कोई कर्मचारी कभीभी इच्छाकृत रूप से काम करना नहीं चाहेगा। लकिन एक अच्छे मालिक के साथ काम करके कर्मचारी हमेशा ही सुखी रह पाता है।