अंधविश्वास क्या है?
अंधविश्वास क्या है? कुछ समाज या देशो में ये आज भी एक बहुत बड़ा प्रश् चिन्ह है।
हालाकि आज दुनिआ अधुनिकताबाद को पार करके उत्तर-आधुनिक स्तर पे आ सुका है लेकिन दुनिआ में आज भी कुछ ऐसे समाज है जिसमे अंधविश्वास सरदर्द बनके बैठा हुआ है।
क्या आप जानना चाहते हो की ये दराचल है क्या ?
तो चलिए अंधविश्वास की मूल परिभाषा को जान लेते है।
दराचल 'अंधविश्वास' भी एक बिस्वास ही होता है जो किसी यौक्तिक सोच के ऊपर प्रतिष्ठित नहीं होता, मानब समाज में कुछ लोग इन अयौक्तिक सोचो को केंद्र करके बिविन्न प्रकार के आचरण करते है।
ये एक अति बितर्कपूर्ण अबधारणा है, लेकिन क्या आप जानते है की दुनिआ के 80 % से भी ज्यादा व्यक्ति अन्धबिस्वासी होते है?
आप सोच रहे होंगे की ये कैसे संभव है?
चलिए तो फिर मई ही बता देता हूँ। दराचल बात यह है की - ये जो अबधारणा है 'अंधविश्वास' इसका अर्थ ही है बिना युक्ति के किसी बिस्वास को ग्रहण करना और उसके मुताबित आचरण करना।
अर्थात आधुनिक समाज के मुताबित अगर कोई सोच यौक्तिक आधार पर प्रतिष्ठित हो, लेकिन उसको मानके चलने वाले व्यक्ति अगर उसकी यौक्तिक गंभीरता ना समझके उसका वाहन करे तो फिर तो वो उस व्यक्ति के क्षेत्र में अंधविश्वास ही हुआ ना।
हालाकि आधुनिक समाज इन सभी बातो के ऊपर ज्यादा ध्यान नहीं देते।
क्योकि युक्ति के ऊपर प्रतिष्ठित कोई सोच अगर कोई व्यक्ति बिना जाने भी मानके चलते है तो भी वो किसी का अपकार नहीं करते।
आधुनिक समाज के लिए अंधविश्वास वो होता है जो आधुनिक यौक्तिक सोच को अपकार करती है तथा इसके साथ समाज, समाज में रहने व्यक्ति की हानि करता है।
जैसे की भुत-प्रेत के ऊपर बिस्वास करके तंत्र-मंत्र का जाप करना तथा जीब-जन्तुओ की बलि देना इत्यादि।
एक उदाहरण देता हूँ जरा सोचके देखिएगा - हर साल जून के महीने में असम राज्य में स्थित कामाख्या देवी की मंदिर के आस पास भक्तो की भीड़ उमड़ पड़ती है।
देवी के भक्तगण एक सोच लेके वहाँ जमा होते है।
ये लोग कामाख्या मंदिर के किसी रहस्य की बात करते है जिसका विज्ञान के पास कोई भी प्रमाण नहीं है, अर्थातविज्ञान के लिए इन लोगो की सोच एक अंधविश्वास से ज्यादा और कुछ भी नहीं।
लेकिन क्या आज तक किसी ने इस सोच को मिटाने की कोसिस की है ?
में जितना जनता हूँ नहीं किआ है।
लेकिन क्यों ?
दराचल बात यह है की यौक्तिक समाज हमेशा ही केबल उन सोचो को ही अंधविश्वास मानके चलते है तथा मिटाने की कोसिस करते है, जो समाज का अपकार करता है।
उन सोचो को नहीं करता जिसका कोई ज्यादा गहरा हानिकारक प्रभाव नहीं होता या फिर कहे तो कम समय के लिए प्रभाव होता है।
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अंधविश्वास का कुछ अति महत्वपूर्ण चरित्र
1. अंधविश्वास हमेशा ही अयौक्तिक सोच के ऊपर प्रतिष्ठित होता है। व्यक्ति को खुदके दुवारा किआ गया आचरण का भी ज्ञान नहीं रहता।
2. ये हमेशा ही मानब समाज का अपकार करता है।
3. आधुनिक सोच इसको मिटाने के लिए लगातार कोसिस करते है।
4. इंसान का 'भय' ही अंधविश्वास का मूल इंधन होता है।
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मानब समाज के ऊपर अंधविश्वास का प्रभाव क्यों पड़ता है?
इस दुनिआ में जितने भी अंधविश्वास है उन सभी का दो ही मात्र मुल कारण है और उन दोनों में से एक है यौक्तिक सोच का अभाव और दूसरा है डर।
यौक्तिक सोच की अभाव के कारण कोई व्यक्ति ये सोच नहीं पाता की कौन सी सोच अच्छी है और कौन सी अच्छी नहीं है या फिर बुरी है।
दूसरी ओर डर जो होता है, वो जिस इंसान पर भारी हो जाता है उससे सही और गलत बिसार करने की मति ही हर लेता है।
कुछ व्यक्ति ये जानते है की कुछ सोच केबल अंधविश्वास ही होते है लेकिन वे लोग उस सोच के बिपरीत जाने सेडरते है, क्योकि इस श्रेणी के लोगो की मन में हमेशा ही एक डर बना रहता है की अगर वे उसके बिपरीत गए तो उनका अपकार होगा ही होगा।
इसी कारण से ये लोग अंधविश्वास से कभीभी मुक्त नहीं हो पाते है।
अंधविश्वास को समाज से ख़तम करने का तीन मुख्य उपाय
समाज वैज्ञानिक हमेशा ही अंधविश्वासो को समाज से मिटाने का बिभिन्न उपाय ढूंढ़ते रहते है लेकिन क्या ये इतना आसान है ?
बिलकुल नहीं, क्योकि लोगो के किसी भी सोच उनकी मन से बाहर करना इतना आसान नहीं होता है।
इसके बहुत सारे कारण निश्चित रूप से होते है लेकिन इस लेख पर हम इन बातो को अध्ययन नहीं करेंगे बल्कि कुछ उपायों को ही निकालने की कोसिस करेंगे जिससे अंधविश्वास को समाज से मिटाया जा सके।
1. सबसे पहला तरीका तो है उचित यौक्तिक शिक्षा। अगर किसी व्यक्ति को बच्चपन से ही उचित यौक्तिक शिक्षा दिआ जाये तो वो आगे चलके यौक्तिक रूप से ही सोचने लगेगा।
2. दूसरा तरीका है कानून व्यवस्था को अंधविश्वास के बिरुद्ध अधिक से अधिक कठोर और शक्तिशाली करना।
समाज में सबको ये ज्ञात करना होगा की अगर किसी व्यक्ति को किसी अंधविश्वासी सोच के कारण आघात पहुँचता है तो उसको आघात पहुंचाने वाले को कठोर से कठोर दंड दिआ जायेगा।
3. समाज के साधारण लोगो को बिविन्न प्रकार के नाटक, सिनेमा इत्यादि के जरिए अवगत करवाना होगा की कैसे यौक्तिक मानसिकता के अधिकारी व्यक्ति बना जाये।
मई सोचता हूँ की अगर इन तरीको को सही तौर पर प्रयोग किआ गया तो भबिस्व में समाज को काफी लाभ होगा और अंधविश्वास का प्रभाव भी काफी हद तक कम होगा।