Friday, 14 December 2018

आधुनिक समाज का मूल चरित्र (Adhunik Samaj Ka Mul Charitra)

आधुनिक समाज का मूल चरित्र (Adhunik Samaj Ka Mul Charitra)



आधुनिक समाज के मूल चरित्रो को जानने से पहले हमें ये जान लेना भी आवश्यक है की समाज क्यों और कैसे परिवर्तित होके आधुनिक स्तर तक पंहुचा है। 


दराचल इसके परिवर्तन का ये जो मूल सिद्धांत है वो मानवो के दुवारा की गयी दैनिक जीवन के कार्यो-प्रणालिओं में ही छिपा हुआ है।

दैनिक जीवन में हम जब कुछ कार्य करने की कोसिस करते है तो कभी कभी हमें उस कार्य को पूर्ण करने के रास्ते में कई सारे परिचानिओ का सामना करना पड़ता है। 
Adhunik Samaj Ka Mul Charitra
उन परिचानिओ के समय हम इंसान उसका हल ढूंढ़ते है, चाहे वो कितना भी कठिन क्यों ना हो  और आखिर में उसको हल करते है।

मानव समाज भी इसी तरह बिविन्न समस्याओ का समाधान करके आज इस स्तर तक पंहुचा है। 

ये जो आधुनिक समाज व्यबस्था है ये भी समस्या के समाधान का फलस्वरूप ही पूर्णरूप से विकशित हुआ है। 

खेर जो भी हो, बिना देर किए जानते है चलिए आधुनिक समाज व्यबस्था के कुछ अति महत्वपूर्ण 6 चरित्रो को।

आधुनिक समाज का 6 महत्वपूर्ण चरित्र 


1. द्रुत परवर्तनशील : - आधुनिक समाज द्रुत परवर्तनशील है। अगर आप आज के साथ आज से पहले की 10 साल के तुलना करोगे तो आपको पता चलेगा की कितने तेज रफ़्तार से ये समाज एक स्तर से होकर दूसरे स्तर तक पंहुचा है। 

आज के साथ आज से 10 साल के पहले के समाज व्यबस्था का जमीन-आसमान का फर्क है।  

ये फर्क केबल आपको वस्तुओ में ही देखने नहीं मिलेगा बल्कि लोगो के सोचो में भी ये फर्क काफी उच्च मात्रा में दिखाई देता है।

उदाहरण के तौर पर : - हमारे समाज में दस साल पहले ये सोचा जाता था की दूसरे धर्म की पुरुष या महिला से अपने बच्चो का विवाह हुआ तो उनका धर्म भ्रस्ट हो जायेगा। 

लेकिन आज आप खुद देखिये दूसरे धर्म के पुरुष या महिला के साथ विवाह करना आम बात हो गया है और समाज काफी हद इसका समर्थन भी करने लगा है।     



2. यौक्तिक सोच का गंभीर समर्थन : - आधुनिकता हमेशा ही यौक्तिक सोच का समर्थन करता है। 

ऐसे व्यबस्था में अयौक्तिक सोच तथा अंधविश्वास का कोई भी स्थान नहीं होता। यहां व्यक्ति को अपने कर्म अनुसार फल की प्राप्ति होती है। 

इसीलिए भारतीय समाज में पहले से चलते रहे जाती प्रथा आधुनिक व्यबस्था में दुर्बल होता जा रहा है। जन्म का महत्व इस व्यबस्था में काफी कम होता है। 

यहां ऐसा नहीं होता की ब्राह्मण के परिवार में जन्मे होने के कारण कोई व्यक्ति उच्च कहलायेगा या क्षुद्र परिवार में जन्मे होने के कारण कोई निम्न कहलायेगा। 

हर एक व्यक्ति अपने कर्म दुवारा यहां उच्च या निम्न सामाजिक स्थान प्राप्त कर सकता है, चाहे वो ब्राह्मण हो या फिर क्षुद्र कोई फर्क नहीं पडता।   



3. व्यक्तिवादी सोच : - आधुनिक व्यबस्था का एक और अन्यतम लक्षण है व्यक्तिवादी सोच। यहा लोग समाज के बारे में पहले सोचने के बजाय खुद के बारे में सबसे पहले सोचते है। 

पहले के समय में व्यक्ति सबसे पहले सोचता था समाज के बारे में, उसके बाद परिवार के बारे में और सबसे आखिर में खुद के बारे में। 

लेकिन आज कल ये क्रम उल्टा हो गया है। आज कल व्यक्ति सबसे पहले सोचता है खुदके बारे में, उसके बाद सोचता है परिवार के बारे में और सबसे आखिर में समाज के बारे में। 

व्यक्तिवादी सोच आधुनिकता का अन्यतम मूल चरित्र है; हालाकि इसका अर्थ ये नहीं की ये सोच समाज के लिए हानिकारक है। 

बिलकुल नहीं। इसका अचल अर्थ ये है की व्यक्ति यहां खुदकी प्रगति करने के दुवारा समाज का प्रगति करता है। 

जरा आप खुद सोचिए, जो व्यक्ति खुदका उपकार ना कर पाए वो समाज का उपकार कैसे करेगा। याद रखिए आधुनिकता कभी भी व्यक्ति का अपकार नहीं करता।  


4. मानव कल्याण : - आधुनिकता हमेशा मानव कल्याण को केंद्र करके विकशित हुआ है, दोस्तों केवल एहि नहीं इसका जनम भी मानव कल्याण हेतु ही हुआ था।

इसीलिए आधुनिक समाज भी मानव कल्याण के ऊपर ही जोर देता है। 

अगर ऐसे समाजो का कोई कार्य या सोच मानव समाज के लिए हानिकारक हो तो वो आधुनिक नहीं कहलायेगा। 

कुछ लोग ये गलत धारणा पालके चलते है की आधुनिकता की जिसतरह उपकार है उसी तरह अपकार भी है। 

लेकिन दोस्तों ये धारणा सत्य नहीं है। ये कभी भी अपकारी हो ही नहीं सकता, और जो अपकारी हो सकता है वो आधुनिक नहीं हो सकता। हां हो सकता है वो पच्छिमीकरण हो या फिर कुछ और।


5. यांत्रिक कौशल का व्यबहार : -  आधुनिक समाज के उद्पादन कार्य में मानव श्रम या जीव-जन्तुओ के श्रम का ज्यादा व्यबहार नहीं होता, इसके बदले में व्यबहार होता यन्त्र के श्रम का; जहा कम लागत में ज्यादा उद्पादन कर पाना संभव होता है।


6. उन्नत जीवन प्रणाली : - ये इसका और एक अति महत्वपूर्ण विशेषता है , जहा समाज के सामान्य लोगो का जीवन-यापन प्रणाली काफी उन्नत मान का होता है। 

अन्न, वस्त्र और स्थान प्राप्ति के आलावा भी यहां लोग एक उपभोग्य जीवन व्यतीत करने में शक्षम होते है।