Monday, 31 December 2018

ग्लोबलाइजेशन का चरित्र (Globalization Ka Charitra)

ग्लोबलाइजेशन का चरित्र (Globalization Ka Charitra)


ग्लोबलाइजेशन एक प्रक्रिया है जो बहुत सारे चरित्रों को वाहन करके चलता है। इस लेख में हम ग्लोबलाइजेशन के उन्ही चरित्रो को जानेंगे, जो इसको बाकि सारे अबधारणाये जैसे की आधुनिकीकरण, पाश्चात्यकरण इत्यादि से अलग बनाते है। तो चलिए इस अबधारणा को कौन कौन चा चरित्र प्रतिनिद्धित्व करते है जान लेते है: -
ग्लोबलाइजेशन का चरित्र (Globalization Ka Charitra)
1. पुरे दुनिआ को एक साथ जुड़ता है : - भूमंडलीकरण या ग्लोबलाइजेशन का प्रथम चरित्र है की ये पुरे दुनिआ को एक साथ जुड़ता है। इसके जरिए दुनिआ के एक समाज किसी दूसरे समाज के साथ बड़े आसानी से जुड़ पाते है। आधुनिकीकरण ग्लोबलाइजेशन का एक अति महत्वपूर्ण कारन है। 

मोबाइल, कंप्यूटर, इंटरनेट इत्यादि बस्तु आधुनिकीकरण का ही देन है जो दुनिआ को एक साथ जुड़ने में मदद कर रहा है। आज पूरा बिस्व इसके जरिए एक छोटे गाँव में बदल रहे है। लकिन ये याद रखना भी जरूरी है की ग्लोबलाइजेशन अबधारणा आधुनिकीकरण से काफी ब्यापक अबधारणा है। 
 
2. नैतिकता से सम्बन्धहीन अबधारणा: - वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन एक ऐसा प्रक्रिया है जो किसी भी सामाजिक नैतिकता के ऊपर प्रतिष्ठित नहीं है। कोई भी ये नहीं बोल सकता की ग्लोबलाइजेशन से हमेशा अच्छा ही होगा। 

क्योकि ये समाज के लिए जितना अच्छा हो सकता है उतना बुरा भी हो सकता है। उदाहरण: -  ग्लोबलाइजेशन से दुनिआ एक दूसरे के साथ जुड़ रही है, जिससे व्यापार करने में काफी सुबिधा भी हो रही है। लकिन दूसरी ओर इसी के कारण एक समाज के अपसंस्कृति दूसरे समाज में भी फैल रही है , जैसे की ड्रग्स का व्यापार।

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3. पुराना अबधारणा: -  वैश्वीकरण कोई नया अबधारणा नहीं है, ये बहुत ही पुराने समय से विकशित होता रहा है। समाज दार्शनिको के मुताबित ग्लोबलाइजेशन हज़ारो सालो से विकसित होता रहा है। 

पश्चिमी देशो ने जब एशिया के देशो के ऊपर अपना औपनिवेशिक शासन करना आरम्भ किआ तब से इस प्रक्रिया की गति द्रुततर होने लगा।

4. अंतहीन प्रक्रिया: -  ग्लोबलाइजेशन एक ऐसा प्रक्रिया है जिसका कोई भी अंत नहीं है। ये हज़ारो सालो पहले आरम्भ हुआ और आज भी चल रहा है और इसी तरह आगे भी चलता रहेगा।


5. सामाजिक व्यबस्थाऔ से जुड़ा हुआ: - ग्लोबलाइजेशन वो हर एक सामाजिक व्यबस्था से जुड़ा हुआ होता है जो समाज में चल रहा है। जैसे की राजनीती, अर्थनीति, शिक्षा, कला, व्यापार इत्यादि।  इन व्यबस्थाओं को ये प्रभाबित करता है और समय के साथ साथ इनमे परिवर्तन भी लाता है।