आधुनिकीकरण क्या है ? (Adhunikikaran Kya Hai)
आज के समय में आधुनिकीकरण एक अत्यंत ही लोकप्रिय सामाजिक संकल्पना है। लकिन क्या आप जानते है की ये 'आधुनिकीकरण' क्या प्रतिनिद्धित्व
करता है ? और किन किन शब्दों के मेल से बना हुआ है ?
दराचल ये शब्द ही दो भिन्न शब्दों के मेल से बना हुआ है। चलिए अगर हमने इन दो शब्दों के अर्थ को समझ लिआ तो हमें आधुनिकीकरण क्या है ? ये समझने में ज्यादा कठिनाई नहीं होगी।
यहाँ एक शब्द है 'आधुनिक' और दूसरा है 'करण'. अर्थात आधुनिकीकरण का अर्थ है जब किसी आधुनिक सोच (सोच को वाद भी कहा जाता है) के ऊपर प्रतिष्ठित किसी व्यबस्था को किसी मानब समाज में पूरी तरह से फैला दिआ जाता है तभी उसको आधुनिकीकरण बोला जाता है।
[आधुनिक सोच की कुछ विशेषता होती है, इन विशेषताओ में जो मुख्य है वो है मुक्त तथा यौक्तिक चिंता करना, हमेशा ही एकतापूर्ण भावना रखना, सामाजिक कल्याण और हमेशा ही अन्याय के विरुद्ध संग्राम करना]
दोस्तों क्या आप जानते है की आधुनिक सोच को एक अर्थ में अधुनिकताबाद भी बोला जाता है ? दराचल यही अधुनिकताबाद आधुनिकीकरण के लिए जिम्मेदार है।
क्योकि बिना किसी सोच के ऊपर प्रतिष्ठित हुए बिना कोई भी सामाजिक पद्धिति का विकाश नहीं हो सकता है, आधुनिकीकरण भी इस चरित्र से मुक्त नहीं है।
दोस्तों, इस लेख में हम इसके कुछ अति महत्वपूर्ण प्रभावों के बारे में जानेंगे, आशा करता हूँ की आपके लिए ये काफी सहायक होगा।
क्योकि बिना किसी सोच के ऊपर प्रतिष्ठित हुए बिना कोई भी सामाजिक पद्धिति का विकाश नहीं हो सकता है, आधुनिकीकरण भी इस चरित्र से मुक्त नहीं है।
दोस्तों, इस लेख में हम इसके कुछ अति महत्वपूर्ण प्रभावों के बारे में जानेंगे, आशा करता हूँ की आपके लिए ये काफी सहायक होगा।
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मानब समाज के ऊपर आधुनिकीकरण का प्रभाव (Manab Samaj Ke Upor Adhunikikaran Ka Prabhaw)
1. यौक्तिक सोच का प्रचार: - जैसा की हमने आपको ऊपर बताया की आधुनिकीकरण हमेशा ही आधुनिक सोच के ऊपर प्रतिष्ठित होता है। और ये जो सोच है वो पूर्ण रूप यौक्तिकता के ऊपर प्रतिष्ठित होता है।
आधुनिकीकरण के वजह से मानब समाज में आज यौक्तिक वैज्ञानिक सोच का बहुत ही ज्यादा प्रचार हो रहा है।समाज से अंधबिस्वास, कु-संस्कार इत्यादि को दूर करने के लिए आज ये काफी हद तक शक्षम भी हो रहे है।
हालाकि भारत जैसे देशो में अभीभी कुछ कुछ जगहों पर अंधबिस्वास जैसे सामाजिक समस्याओ का प्राधान्य है लकिन जिस तरह आज पुरे दुनिआ में आधुनिकीकरण अपना गति ले रहा है, ऐसा लगता है की अति कम समय के भीतर ये भारतीय समाज से भी इन समस्याओ को दूर कर देगा।
हालाकि भारत जैसे देशो में अभीभी कुछ कुछ जगहों पर अंधबिस्वास जैसे सामाजिक समस्याओ का प्राधान्य है लकिन जिस तरह आज पुरे दुनिआ में आधुनिकीकरण अपना गति ले रहा है, ऐसा लगता है की अति कम समय के भीतर ये भारतीय समाज से भी इन समस्याओ को दूर कर देगा।
2. आधुनिकीकरण का शिक्षा पर प्रभाव: - आज दुनिआ के लगभग हर एक मानब समाज में आधुनिक शिक्षा अति द्रुत गति से आगे बढ़ रहा है। चाहे वो कारिकारी दिशा में हो या फिर अ-करिकारी।
भारत जैसे देशो में भी आज लोग काफी हद तक पुराने ज़माने के दुर्बल शिक्षा प्रणाली को त्याग कर सुके है। जिसके कारण आज उद्द्योग, विज्ञान, व्यापार इत्यादि बिभिन्न दिशाऔ में ये देश बहुत ही ज्यादा आगे बढ़ रहा है।
पहले सोचा जाता था की भारतीय महिलाये कभी भी आगे नहीं बढ़ सकती, वे केबल चुला जलाने और बच्चे जनम देने और अपने पतिओ की देखभाल करने के ही काम आती है, लकिन आज आप खुद देख सकते हो भारतीय महिलाये क्या क्या कर रही है।
उदाहरण : - इंदिरा नूई, इंदिरा गाँधी, हिमा दास, कल्पना चाओला। अगर आप इन चारो के बारे में अच्छे से नहीं जानते तो गूगल करके पढ़ सकते हो। ये सारे परिणाम भी आधुनिकीकरण के जरिए हुए आधुनिक शिक्षा के ही देन है।
पहले सोचा जाता था की भारतीय महिलाये कभी भी आगे नहीं बढ़ सकती, वे केबल चुला जलाने और बच्चे जनम देने और अपने पतिओ की देखभाल करने के ही काम आती है, लकिन आज आप खुद देख सकते हो भारतीय महिलाये क्या क्या कर रही है।
उदाहरण : - इंदिरा नूई, इंदिरा गाँधी, हिमा दास, कल्पना चाओला। अगर आप इन चारो के बारे में अच्छे से नहीं जानते तो गूगल करके पढ़ सकते हो। ये सारे परिणाम भी आधुनिकीकरण के जरिए हुए आधुनिक शिक्षा के ही देन है।
3. द्रुत सामाजिक परिवर्तन: - द्रुत सामाजिक परिवर्तन आधुनिकीकरण का एक और अन्यतम चरित्र है। ये हमेशा ही समाज में हो रहे समस्याओ का समाधान ढूंढ़ने की प्रयास करता है। इसके कारण प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्रता का अधिकार भी प्रदान किआ जाता है।
व्यक्ति ऐसे समाज में हर रोज नए नए अबिष्कार करता है ताकि समाज में चल रहे समस्याओ का समाधान हो सके या समाधान सूत्र निकाल सके। 'समस्या समाधान की उपाय ढूंढ़ने' के चरित्र के दुवारा आधुनिकीकरण अति तेजी से मानब समाज में परिवर्तन ला रहा है।
4. पुरुष और नारी का समान अधिकार: - एक समय ऐसा था की समाज में महिलाओ को वो सारे अधिकार प्राप्त नहीं होता था जो पुरुषो को भोग करने मिलता था।
महिलाओ को उस समय में पुरुषो की तुलना में निम्न माना जाता था। स्कूल जाना, नौकरी करना उन सबमें उनके के लिए काफी सारे सामाजिक बाधा थी।
महिलाओ को उस समय में पुरुषो की तुलना में निम्न माना जाता था। स्कूल जाना, नौकरी करना उन सबमें उनके के लिए काफी सारे सामाजिक बाधा थी।
लकिन बिस्व के समाजो ने जबसे अपना कदम आधुनिकीकरण की ओर आगे बढ़ाया है तबसे ये परिस्थिति काफी हद तक बदल सुकि है।
आज दुनिआ की ज्यादातर समाजो में नारी और पुरुष दोनों को ही साम्य अधिकार प्राप्त होता और वो सारे काम आज महिलाये भी कर सकती है जो पुरुष करते है।
आज दुनिआ की ज्यादातर समाजो में नारी और पुरुष दोनों को ही साम्य अधिकार प्राप्त होता और वो सारे काम आज महिलाये भी कर सकती है जो पुरुष करते है।
भारतीय समाज को ही ले लो, एक समय में भारत में महिलाओ को किसी भी समाजिक कार्य में अंश लेने नहीं दिआ जाता था, ना स्कूल जाने और ना ही नौकरी करने; लकिन आज भारत की महिलाये वो सब काम करने में शक्षम है। ये भी आधुनिकीकरण का ही एक अन्यतम तात्पर्यपूर्ण प्रभाव है।