Thursday, 3 January 2019

सामाजिक कल्याण (Samajik Kalyan)

सामाजिक कल्याण (Samajik Kalyan)


आधुनिक समाज व्यबस्था में द्वितीय विश्व यूद्ध के बाद ही सामाजिक कल्याण की संकल्पना का द्रुत गति से बिकाश होने लगा। एहि पर मूल प्रश्न आता है की ये अचल में है क्या ?

आप सभी तो जानते होंगे की एक समाज में रहने वाले हर एक व्यक्ति कभी भी एक समान नहीं हो सकता। हर दूसरे व्यक्ति के बिच कोई न कोई अंतर होना अति स्वाभाविक बात है। 

समाज में कुछ ऐसे लोग भी रहते है जो अपने खुद के जरूरतो को भी खुद पूरा नहीं कर सकते। ऐसे लोग विशेष करके बृद्ध व्यक्ति, अपाहिज, दरिद्र और शोषित होते है। 

एहि ये संकल्पना अपना कार्य करता है।  

सामाजिक कल्याण एक ऐसा पद्धिति होता है जो इन सभी शोषित, अवहेलित लोगो के जीबन-यापन में आयी हुई समस्या के विरुद्ध यूद्ध करती हैतथा उनको उस समस्याओ के विरुद्ध खड़े रहने में मदद करती है।
सामाजिक कल्याण, Samajik Kalyan

सामाजिक कल्याण का बिकाश (Samajik Kalyan Ka Vikash)

दोस्तों क्या आप जानते है की सामाजिक कल्याण कोई नया संकल्पना नहीं है? पुराने ज़माने से ही गरीबो की सहायता करने हेतु ये संकल्पना व्यबहित होता रहा है। 

पहले के समय में धर्म अनुष्ठानो दुवारा समाज के गरीब लोगो की मदद किआ जाता था।

लेकिन उस समय में ये कुछ असम्पूर्ण था। क्योकि उस समय केबल गरीबो की सहायता के लिए ही ये व्यबहित होता था। लेकिन जो रोगी, शारीरिक रूप से अपाहिज, बृद्ध लोग थे उनके ऊपर ज्यादा ध्यान नहीं दिआ जाता था।

द्वितीय विश्व यूद्ध के बाद इस धारणा में काफी सुधार आया। 

और अगर हम आज के समय की बात करे तो आज के समय में ये एक बहुत ही बड़ा अबधारणा बन सुका है, जो लाखो-करोड़ो लोगो की जीबन में सुधार लाने के लिए जिम्मेदार बन रहे है।  

सामाजिक सुरक्षा और सामाजिक कल्याण में अंतर

1. सबसे पहले तो सामाजिक कल्याण एक बहुत ही बड़ा विषय है। इसमें सामूहिक कल्याण के ऊपर ध्यान दिआ जाता है लेकिन सामाजिक सुरक्षा में सामूहिक कल्याण के बदले व्यक्ति की सुरक्षा के ऊपर ज्यादा महत्व प्रदान किआ जाता है। 

ये दराचल सामाजिक कल्याण एक छोटा सा अंश मात्र है।

2. अगर किसी व्यक्ति को सामाजिक कल्याण का सुबिधा लेना है तो उसके लिए उस व्यक्ति को पहले से कोई भी धन या योगदान देने की आवश्यकता नहीं पडती है। 

लेकिन सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में ऐसा नहीं होता। व्यक्ति को पहले से ही कोई बिमा या फिर योगदान देके रखने की आवश्यकता पड़ती है। 

उदाहरण : - किसी औद्योग में नियोजित कर्मचारी को किसी दुर्घटना के समय जो भी सहायता प्रदान किआ जाता है वो उसके दुवारा औद्योग में दी गयी योगदान के ही प्रतिदान है। 

3. सामाजिक कल्याण में जो समस्या हो रहा है उसको ख़त्म करने के ऊपर ध्यान दिआ जाता है लेकिन इसके बिपरीत सुरक्षा में किसी समस्या या बिपदा की भविश्व आशंका के ऊपर ज्यादा ध्यान दिआ जाता है [मतलब जो बिपदा भविश्व में हो सकता है लेकिन अभी तक हुआ नहीं]